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Last Updated : रविवार, 27 जून 2021 (20:41 IST)

जेल में धर्मांतरण : हत्या के मुकदमे में मिली सहायता से ताराचंद बन गया ताहिर

जेल में धर्मांतरण : हत्या के मुकदमे में मिली सहायता से ताराचंद बन गया ताहिर - Tarachand alias Tahir became a five-time Namazi in jail
वो परेशान है कि जिस धर्म में पैदा हुआ और जिस समाज में रहा, वहां उसे अपने का साथ और पुलिस से न्याय नहीं मिला, जिसके चलते वह अब मुसलमान बन गया है। उसने इस्लाम को इसलिए मन से अपनाया है कि वहां कौम की एकता है, यह अपनों के काम आते हैं। मंदिर में पत्थर की मूर्ति अपनी सुरक्षा नहीं कर सकती, भला वह इंसान की रक्षा क्या करेंगी, यह उवाच ताराचंद उर्फ ताहिर के हैं। ताराचंद हत्यारा है और जेल में 42 महीने रहने के बाद पेरोल पर बाहर आया है।

गौरतलब है कि हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए ताराचंद उर्फ ताहिर से जेल में मिलने उसके परिवार का कोई व्यक्ति नहीं गया, ना ही उसके परिजन हत्यारे को जेल से बाहर निकालने के लिए किसी परिजन ने मदद की है। अब प्रश्न उठता है कि वह कौन शख्स है, जो जेल से बाहर निकालने के लिए उसका मददगार बना, बाहर लाने के पीछे उसका मकसद क्या है?

चौंका देने वाली बात यह है कि हत्या के मामले में जेल में बंद उस्मान नाम के एक हत्यारे के परिजनों ने अपना पैसा खर्च करके ताराचंद उर्फ ताहिर को हाईकोर्ट में पैरवी कर उसे पेरोल पर जेल से बाहर निकाला। गांववालों की नज़र में ताराचंद संदिग्ध है और वह उसकी मरम्मत कर हजामत भी बना चुके हैं।

मेरठ में हत्या के एक मामले में जेल में बंद ताराचंद आजकल पेरोल पर बाहर आया हुआ है। 42 महीने जेल में रहकर वह पांच टाइम का नमाजी बन गया, सिर पर टोपी और दाढ़ी रखने लगा। जेल से जब गांव आया तो वहां के लोगों ने इस बात पर आपत्ति उठाई, ग्राम प्रधान सदस्य दुष्यंत के साथ कई गांवों के लोगों ने उसकी दाढ़ी और टोपी को लेकर हंगामा करते हुए उसके साथ मारपीट कर दी।

घटना की सूचना पर पुलिस गांव में पहुंची और उसकी थाने लाकर पूछताछ की और बाद में दुष्यंत के प्रभाव में उसकी दाढ़ी कटवा दी गई। आरोप यह भी है कि उसका जेल में ब्रेनवॉश किया गया है और उसने दो लाख रुपए लेकर धर्मांतरण किया है। हिंदू से मुस्लिम बना ताराचंद उर्फ ताहिर का कहना है कि वह अपनी मर्जी से मुस्लिम हुआ है, इसके लिए उसे कोई फंडिंग नहीं हुई है। हालांकि इस पूरे मामले पर इंटेलीजेंस सहित अन्य विभाग अपनी नजर रखे हुए है।

धर्मांतरण करने वाला ताराचंद उर्फ ताहिर मुंडाली थाना क्षेत्र के मऊखास गांव में रहता है और पेशे से ड्राइवर है। इसकी पत्नी और तीन बच्चे हैं, जो कुछ साल पहले इसे छोड़कर चले गए। मिली जानकारी के मुताबिक ताराचंद अक्सर ड्राइवरी करने के चलते लंबे समय तक परिवार से दूर रहता था। ताराचंद का आरोप है कि इस बीच उसकी बीवी की नजदीकियां किसी अन्य के साथ बढ़ गई।

एक दिन अपनी पत्नी को आपत्तिजनक स्थिति में प्रेमी के साथ देख लिया और उसकी हत्या कर दी। इस मामले में वह 2017 से जेल में सजा काट रहा था। अब पेरोल पर बाहर है, घर पर वह नमाज और मुस्लिम तौर-तरीकों का पालन कर रहा है, जिसका विरोध ग्रामीणों ने किया, पुलिस ने ताराचंद से पूछताछ भी की है। गुप्तचर विभाग भी अपनी जांच कर रहा है।

ताराचंद उर्फ ताहिर एक महीने पहले जेल से पैरोल पर आया है। बीते शुक्रवार को हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने मऊखास पुलिस चौकी पर हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल में ही बंद खरखौदा क्षेत्र के युवक ने ताराचंद को दो लाख रुपए देकर उसका धर्मांतरण करा दिया। ताराचंद मस्जिद में नमाज पढ़ता है और गांव में आकर हिंदू युवाओं को भी धर्मांतरण कराने का दबाव बना रहा है।

जब तक यह मामला तूल पकड़ता, उससे पहले ही मुंडाली थाना पुलिस ने ताराचंद को हिदायत दी की वह दाढ़ी कटवा लें अन्‍यथा परिणाम अच्छा नहीं होगा। समाज और पुलिस के भय के कारण उसने दाढ़ी कटवा दी। लेकिन ग्राम प्रधान का कहना है कि उसकी दाढ़ी पुलिस ने थाने में कटवाई है।
ताराचंद का कहना है कि 2015 में वह बंगाल के रहने वाले मोहम्मद के संपर्क में आया था, लगभग दो साल उसके साथ काम किया। दिल्ली के अप्सरा बार्डर से वह बिहार होते हुए गोवाहाटी (असम) गया था, वहां सबसे पहले उसने नमाज पढ़ी थी, कुछ समय बाद वह हत्या के मामले में जेल चला गया, वहां घोसीपुर के रहने वाले उस्मान ने मदद की।
इससे वह इस्लाम में और अधिक आस्थावान हो गया, क्योंकि इस्लाम में कौमी एकता है। उस्मान के परिवार द्वारा ही पैरवी करके हाईकोर्ट से पेरोल पर बाहर है। अब मऊखास गांव के कुछ मुस्लिम लोगों से उसका संपर्क है, जो लोगों को मुस्लिम बनने के लिए उकसा रहे हैं।
गांव के प्रधान रवींद्र के मुताबिक गांव के कुछ लोग इसके साथ मिले हुए हैं, इंटेलीजेंस जांच में जुटा है वह कौन है। प्रधान का कहना है कि कोर्ट पैरवी के लिए पैसा ताराचंद के पास कहां से आया, ये भी जांच का विषय है, क्योंकि उसकी व परिवार की माली हालत अच्छी नहीं है। जेल में मेहनत करने के बाद मुश्किल से पचास-साठ रुपए मिलते हैं, ऐसे में बीड़ी का शौकीन ताराचंद क्या उन पैसों से परैवी कर पाएगा। चाहे ऐसी कितनी भी दलीलें ताराचंद दें, जो गले से नीचे नहीं उतरती हैं।

ताराचंद से बात करके लगता है उसका ब्रेनवॉश भली प्रकार से किया गया है, उसकी कुटिल मुस्कान इस बात की गवाह है। जेल में इस तरह से पांच वक्त की नमाज पढ़ना और ऊपर वाले पर अटूट विश्वास पैदा करने के पीछे कौनसा गैंग काम कर रहा है, ये तो खुफिया विभाग की जांच के बाद ही खुलासा होगा।
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