शहीद औरंगजेब की हत्या का बदला लेने उसके 3 भाई फौज में
जम्मू। पिछले साल आतंकियों ने सेना के जिस जवान औरंगजेब को यातनाएं देकर मार दिया था, उसके तीनों भाई अब ‘बदले’ की खातिर फौज में चले गए हैं। छोटे दो भाई भी फौज में जाने को तैयार है। वे बस बालिग होने का इंतजार कर रहे हैं।
औरंगजेब की पिछले साल 14 जून को आतंकियों ने उस वक्त अगवा कर हत्या कर दी थी, जब वह ईद मनाने के लिए घर लौट रहे थे। फौज में भर्ती होने के बाद, औरंगजेब के भाइयों ने कहा कि जैसे भाई ने जान दे दी, वैसे हम भी देश के लिए जान देने के लिए तैयार हैं। भाई की मौत का बदला लेंगे और देश का नाम रोशन करेंगे।
औरंगजेब के पिता मोहम्मद हनीफ ने अपने दोनों बेटों के सेना से जुड़ने के मौके पर कहा कि मेरे बेटे को आतंकियों ने धोखे से मारा। यदि वह लड़कर मर जाता तो कोई दु:ख नहीं था, लेकिन धोखे से जान ली गई।
हनीफ ने कहा कि दोनों बेटों की भर्ती पर गर्व से मेरा सीना चौड़ा भी हो रहा है, लेकिन सीने पर जख्म भी हैं। मेरा दिल करता है कि उन दुश्मनों से मैं खुद लड़ूं, जिन्होंने मेरे बेटे को मारा।’ हनीफ ने कहा कि मेरे दोनों बेटे औरंगजेब की हत्या का बदला लेंगे। औरंगजेब के पिता भी खुद पूर्व सैनिक हैं।
मरणोपरांत औरंगजेब को 'शौर्य चक्र' से सम्मानित किया गया था। इस पर शहीद औरंगजेब के पिता और पूर्व सैनिक मोहम्मद हनीफ ने आतंकवाद का मुकाबला करने की इच्छा जाहिर की थी। उसके बाद उन्होंने अपने दोनों बेटों को सेना में भर्ती होने के लिए तैयार किया ताकि दोनों भाई मिलकर आतंकवाद का राज्य से सफाया करने में अहम भूमिका निभा सकें और अपने भाई की शहादत का बदला आतंकवादियों से ले सकें।
शहीद औरंगजेब का बड़ा भाई मोहम्मद कासिम पहले से ही सेना में है और करीब 12 साल से सेना में सेवाएं दे रहा है। अब दो भाई और सेना में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा दो छोटे भाई आसम और सोहेल अभी पढ़ रहे हैं।
शहीद औरंगजेब के पिता हनीफ ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अभी भी जारी है। अब तारीक व शब्बीर आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। दोनों भाई मिलकर आतंकवाद की कमर तोड़ने का कार्य करेंगे और आतंकवाद को समाप्त करके की दम लेंगे। उन्होंने कहा कि मुङो गर्व है कि मेरे बेटे ने देश के लिए उसने अपने प्राणों की आहुति दे दी। अब मेरे यह दोनों बेटे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को निर्णायक अंजाम तक पहुंचाएंगे।
औरंगजेब के छोटे भाई मोहम्मद तारिक ने कहा कि जैसे हमारे भाई ने वतन की खातिर जान दे दी और रेजिमेंट का नाम ऊंचा किया। उसी तरह हम भी अच्छे काम करेंगे और भाई की तरह ही देश के लिए ही जान देने से पीछे नहीं हटेंगे। शब्बीर ने कहा कि मैं अपने भाई का बदला लेना चाहता हूं, इसलिए भर्ती हुआ हूं। मैं भाई और पंजाब रेजिमेंट का नाम रोशन करूंगा।
सिर्फ औरंगजेब ही नहीं उनके चाचा भी देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर चुके हैं। औरंगजेब के चाचा को 2004 में आतंकवादियों ने मार डाला था। औरंगजेब के 5 भाई हैं। अब तक चार भाई भारतीय सेना में शामिल हो चुके हैं।