400 साल बाद मैसूर राजघराने को मिली इस श्राप से मुक्ति
मैसूर। आखिरकार 400 साल पुराना श्राप खत्म हुआ और मैसूर के वाडियार राजघराने को अपना वारिस मिल गया है। यहां सैकड़ों साल बाद पहली बार राजघराने में कोई संतान प्राकृतिक रूप से हुई है। राजघराने में जश्न का माहौल है।
राजा यदुवीर कृष्णदत्ता भी गोद ली हुई संतान हैं। बुधवार रात उनकी पत्नी त्रिशिका ने एक अस्पताल में बेटे को जन्म दिया। त्रिशिका राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने की बेटी हैं और 2016 में उनका विवाह यदुवीर से हुआ था। यदुवीर को मैसूर के दिवंगत राजा श्रीकांतदत्त वाडियार एवं उनकी पत्नी प्रमोददेवी वाडियार ने कुछ साल पूर्व गोद लिया था।
दरअसल वाडियार राजघराने को लेकर एक किवदंती है कि इस राजघराने को 1612 में एक श्राप मिला था जिसके बाद उनके यहां कोई संतान नहीं हुई।
उस समय मैसूर के राजा ने श्रीरंगपट्टना पर हमला किया था इसमें उनकी जीत हुई और वहां की रानी खुद को बचाते हुए भाग निकली। उस समय महारानी अलमेलम्मा के पास काफी सोने, चांदी और हीरे- जवाहरात थे। जब वाडियार ने महारानी के पास अपना दूत भेजा तो उन्होंने अपने गहने देने से इंकार कर दिया लेकिन सिपाहियों ने महारानी से जबरदस्ती सारे गहने छीन लिए।
महारानी वाडियार की इस हरकत से काफी नाराज हो गईं और उसने वाडियार राजवंश को श्राप दिया कि उनके राजघराने के राजा-रानी की गोद हमेशा सूनी ही रहेगी। श्राप देने के बाद अलमेलम्मा ने कावेरी नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली।