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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 19 जून 2025 (16:44 IST)

Yashwant Varma : जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में चौंकाने वाला खुलासा, supreme court panel ने सौंपी रिपोर्ट, महाभियोग की सिफारिश

Justice Yashwant Verma
पूर्व जज जस्टिस वर्मा कैश कांड में मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सिफारिश की गई है। 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित 3 दिवसीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि स्टोर रूम पर जस्टिस वर्मा के परिवार की पूरी निगरानी थी और वहां किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी।

इन तथ्यों को देखते हुए समिति ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की है। पैनल ने 4 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट सौंप दी हैं। हालांकि इसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। 
यशवंत वर्मा ने आरोपों से किया इंकार 
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है। जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार करते हुए स्टोररूम से बरामद जली हुई नकदी से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि उनके और उनके परिवार के किसी सदस्य ने स्टोररूम में पैसे नहीं रखे थे। 
 
55 गवाहों से पूछताछ
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल ने 55 गवाहों से पूछताछ की है। जांच के बाद जस्टिस वर्मा का बयान भी दर्ज किया गया है। इसके बाद समिति ने गुरुवार सुबह 64 पन्नों की रिपोर्ट पेश की। समिति की रिपोर्ट में दो प्रमुख खुलासे किए गए हैं, जो जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की इसकी सिफारिश का आधार बनती हैं।
 
क्या है रिपोर्ट में 
रिपोर्ट के अनुसार समिति ने बताया कि हमने पाया कि 30 तुगलक क्रिसेंट के परिसर में स्थित जिस स्टोररूम में नकद राशि मिली थी, वह आधिकारिक तौर पर जस्टिस वर्मा के कब्जे में थी। दूसरे बिंदु में कहा गया, स्टोर रूम तक न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों की पहुंच थी और वहां किसी को भी बिना इजाजत जाने की अनुमति नहीं थी। 
 
जस्टिस वर्मा के घर मिली थी नोटों की गड्डियां 
मार्च में जस्टिस वर्मा के सरकारी घर में आग लगने कर बाद वहां बड़ी मात्रा में नोटों की गड्डियां मिली थीं। इसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। हालांकि उन्हें कोई भी न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है। 
सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी 3 सदस्यीय समिति 
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। इसमें पंजाब और हरियाणा उच्च हाईकोर्ट  के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे।  Edited by : Sudhir Sharma