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Last Modified: बुधवार, 15 फ़रवरी 2023 (17:09 IST)

माणिक सरकार : त्रिपुरा की चुनावी जंग में माकपा के एक अनुभवी राजनेता

माणिक सरकार : त्रिपुरा की चुनावी जंग में माकपा के एक अनुभवी राजनेता - Manik Sarkar is an experienced CPI(M) politician in Tripura's election battle
अगरतला। पूर्वोत्तर में कम्युनिस्ट आंदोलन को मूर्तरूप देने वाले माणिक सरकार चुनावी राज्य त्रिपुरा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सबसे अनुभवी राजनेता हैं। उनके एक सहयोगी ने माणिक सरकार को एक अनुभवी राजनेता करार देते हुए कहा कि पार्टी उन्हें संन्यास लेने की अनुमति नहीं दे सकती।

कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर को नियंत्रित करने की बात आती है, तो वह 74 वर्षीय माणिक सरकार के अलावा और कोई नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने उपद्रव ग्रस्त इस क्षेत्र में माकपा नीत सरकार का 20 सालों की लंबी अवधि तक नेतृत्व किया। हालांकि वर्ष 2018 में भारतीय जनता पार्टी की लहर ने उनकी पार्टी के शासन का अंत कर दिया।

वह पिछले कई सप्ताह से कठिन कार्यक्रम में व्यस्त हैं और जीप से सफर करके तथा पैदल चलकर त्रिपुरा की पहाड़ियों और घाटियों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। त्रिपुरा को बांग्लादेश के चारों तरफ लिपटी भूमि की अंगुली के रूप में वर्णित किया जाता है।

उन्होंने कहा, मैंने अपने सहयोगियों को इस बात के लिए राजी किया कि युवा नेताओं को लाना चाहिए क्योंकि मैं वर्ष 1979 से चुनाव लड़ रहा हूं और 20 सालों तक मुख्यमंत्री रह चुका हूं। इसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, यद्यपि मैं यहां जंग के मैदान में हूं।

माकपा के औसत कार्यकर्ता या समर्थक की नजर में सरकार समूचे वाम मोर्चा के लिए हमेशा से ‘स्टार प्रचारक’ रहे हैं, हालांकि सीताराम येचुरी, वृंदा करात और मोहम्मद सलीम जैसे माकपा के बड़े राजनेता भी राज्य में उतारे गए हैं।

पूर्वोत्तर से जुड़े राजनीतिक मामलों के टिप्पणीकार और पूर्व पत्रकार शेखर दत्ता ने कहा, कई आम लोग खासकर उनकी पार्टी का कैडर व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन में उनकी सत्यनिष्ठा और स्वच्छ छवि के लिए उनकी ओर देखता है।

माकपा नेता इस बात पर सहमत दिखते हैं कि इस बार असली लड़ाई लोकतंत्र की बहाली, नागरिक आजादी, रोजगार सृजन और आय तथा क्रय शक्ति में बढ़ोतरी को लेकर होगी। मध्यम परिवार में जन्मे सरकार ने महाराज वीर विक्रम कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र कार्यकर्ता के रूप में कम्युनिस्ट आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद वे जल्द ही कॉलेज में छात्र नेता बन गए। वे 21 साल की उम्र में राज्य माकपा की समिति के सदस्य बन गए।

विधायक चुने जाने के बाद वर्ष 1980 में सरकार को पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया गया और 49 साल की उम्र में वे पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य और राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। सरकार के जीवन का अधिकांश हिस्सा कांग्रेस पार्टी के खिलाफ लड़ाई में बीता है, लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस और माकपा हाथ मिलाते दिख रहे हैं ताकि भाजपा को पराजित किया जा सके।

सरकार ने कहा, यह सच है कि हम विचारधारा के आधार पर एक-दूसरे से लड़े (माकपा और कांग्रेस), लेकिन आरएसएस-भाजपा और उनके फासीवादी शासन ने हमें एकसाथ आने पर मजबूर कर दिया, लेकिन यदि चुनाव में भाजपा के खिलाफ जीत मिलने पर दोनों दलों के लिए मिलकर सरकार चलाना एक बड़ी चुनौती होगी।
फोटो सौजन्‍य : टि्वटर
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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