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Last Modified: सोमवार, 24 जून 2019 (14:05 IST)

कमलनाथ पर संकट का साया, क्या गिर जाएगी मप्र सरकार?

KamalNath government। कमलनाथ पर संकट का साया, क्या गिर जाएगी मप्र सरकार? - KamalNath government in mp
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही उसके गिरने की अटकलें भी शुरू हो गई थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली एकतरफा जीत के बाद तो अब राज्य की कमलनाथ सरकार पर खतरे मंडराने लगे हैं। भाजपा ने मध्यावधि चुनाव की भी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि मुख्‍यमंत्री कमलनाथ अपनी सरकार को पूरी तरह आश्वस्त हैं।
 
दरअसल, कमलनाथ राज्य में अल्पमत सरकार चला रहे हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, जो कि बहुमत के आंकड़े से 2 कम हैं। सबसे बड़े दल के नाते कांग्रेस ने बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से तो बना ली, लेकिन ये सभी निर्दलीय विधायक चाहते हैं कि उन्हें भी 'सत्ता सुख' प्राप्त हो।
 
बसपा के विधायक तो परोक्ष रूप से कई बार कमलनाथ सरकार को धमकी दे चुके हैं, वहीं बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेन्द्रसिंह उर्फ शेरा भैया ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान बागी तेवर अपना लिए थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ अपनी पत्नी जयश्री ठाकुर को उम्मीदवार बनाने का फैसला कर लिया था। काफी मान-मनौव्वल के बाद कांग्रेस के इस बागी विधायक ने अपना फैसला बदल लिया था। तब कहा गया था कि अगले विस्तार में मंत्री बनाए जाने की शर्त पर शेरा भैया माने हैं। 
 
सुसनेर से विधायक राणा विक्रम सिंह उर्फ गुड्‍डू भैया भी मंत्री बनने की आकांक्षा रखते हैं। राणा भी कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने कमलनाथ सरकार को समर्थन दे दिया था। कांग्रेस के टिकट पर जीते जयस के हीरालाल अलावा भी समय-समय पर अपनी महत्वाकांक्षाओं का इजहार कर चुके हैं। सपा और बसपा भी सरकार से समर्थन की कीमत चाहती हैं। 
 
मुख्‍यमंत्री कमलनाथ के लिए इन सबसे बड़ी चुनौती सिंधिया खेमा है। इस खेमे के विधायकों और मंत्रियों ने सरकार के खिलाफ विरोधी तेवर अपना लिए हैं। राज्य के मंत्री गोविंदसिंह राजपूत, प्रद्युम्नसिंह तोमर और इमरती देवी ने भी हाल ही कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सिंधिया भी गुना में मिली करारी हार से तिलमिलाए बैठे हैं। ऐसे में कहा जा रहा आगामी मानसून सत्र कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।
 
दूसरी ओर लोकसभा चुनाव की जीत से उत्साहित भाजपा निर्दलीय विधायकों का समर्थन जुटाकर सरकार बनाने के मूड में नहीं दिख रही है। वह चाहती है कि मध्यावधि चुनाव करवाकर राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई जाए। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल ने मध्यावधि चुनाव के संकेत देते हुए कार्यकर्ताओं से इस दिशा में जुट जाने के लिए कहा है।
 
रामलाल ने एक बैठक में सांसदों और विधायक से स्पष्ट कहा है कि कार्यकर्ता उन बूथों पर विशेष तौर पर काम करें जहां विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार मिली है। हालांकि 121 विधायक साथ होने का दावा करने वाली कांग्रेस ने इसे भाजपा का खयाली-पुलाव बताया है। हालांकि कमलनाथ की सरकार रहेगी या बचेगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन दोनों ही पक्ष अपने-अपने दावों के साथ काम पर लग गए हैं।
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