कभी नेताओं की पहली पसंद था अब उन्हीं के लिए जेल बन गया
जम्मू। श्रीनगर के डल झील किनारे विश्व विख्यात संतूर होटल की पहचान ठीक उसी प्रकार अब बदल गई है, जैसे जम्मू कश्मीर राज्य की पहचान बदली जा चुकी है। पहले कभी यह होटल राजनेताओं व अधिकारियों का चहेता था पर अब यह इन्हीं राजनीतिज्ञों के लिए अस्थाई जेल बन चुका है।
फिलहाल अभी तक ग्रीष्मकालीन राजधानी के तौर पर जाने जाने वाले श्रीनगर के डल झील के किनारे बना संतूर होटल 50-60 कश्मीरी नेताओं की जेल बन गया है। इन नेताओं को सोमवार को भी अपने रिश्तेदारों से मिलने दिया गया जो उनके लिए कपड़े, फल और अन्य सामान लेकर आए थे। कुछेक के साथ आज भी मुलाकात हो पाई थी। गत 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से इस होटल में नेताओं को रखा गया है।
संतूर होटेल में जिन नेताओं को रखा गया है, उनमें सज्जाद लोन, इमरान अंसारी, यासिर रेसी, इश्फाक जब्बार, अशरफ मीर, सलमान सागर, मुबारक गुल, नईम अख्तर, खुर्शीद आलम, वाहिद पारा, शेख इमरान आदि शामिल हैं। नेताओं से मुलाकात करके लौटे एक बुजुर्ग ने कहा कि यह एक जेल की तरह से ही है, लेकिन हमें खुशी है कि मेरा बेटा ठीक है।
बुजुर्ग ने पत्रकारों के साथ बात करते हुए कहा कि हमें कुछ मिनट तक होटल रूम से बाहर गैलरी में जाने की इजाजत दी गई थी। मेरे बेटे ने बताया कि उनकी देखभाल की जा रही है, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि बाहर क्या हो रहा है। जो लोग मिलने आ रहे हैं, वे लोग और समाचार पत्र ही उनकी सूचना के स्रोत हैं। इस बीच बताया जा रहा है कि होटल में रखे गए नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को बाहर के घटनाक्रम की जानकारी मिल रही है।
मुख्य धारा के नजदीकी सहयोगी ने कहा कि नेताजी घाटी में राजनीतिक स्थिति को लेकर चिंतित हैं। हम उनके लिए कुछ सामान लेकर गए थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने सिगरेट का पैकेट ले जाने की अनुमति नहीं दी। बता दें कि पिछले हफ्ते राज्य प्रशासन ने एक आदेश जारी कर कहा था कि जेल में बंद नेताओं से उनके परिवार वाले जेल प्रशासन की अनुमति लेकर मिल सकते हैं।
एक सुरक्षाकर्मी ने कहा कि नेताओं को जेल की तरह से ही रहने की अनुमति दी गई है। होटल में कोई टीवी नहीं है और वे अखबार तथा किताबें पढ़कर खुद को व्यस्त रख रहे हैं। नेताओं से मिलने पहुंची पीडीपी विधायक रह चुकी एक महिला ने कहा कि मैं रविवार को शाम छह बजे आई थी, लेकिन उन्होंने मुझे अनुमति नहीं दी। पुलिस ने बताया कि मिलने का समय सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक ही है। महिला ने कहा कि उनके पति ने कभी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया, फिर भी उन्हें बंद किया गया है।