मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. Heat wave wreaks havoc in Jammu and Kashmir
Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : शनिवार, 30 अप्रैल 2022 (17:11 IST)

जम्मू-कश्मीर में बरपा गर्मी का कहर, 6 से 8 घंटे की बिजली कटौती से जीना हुआ मुहाल

Electricity
जम्मू। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए गर्मी इस बार कुछ ज्यादा ही कहर बरपा रही है। उससे ज्यादा कहर प्रशासनिक फैसले और उसकी असंवेदनशीलता है। हाल यह है कि प्रदेश में 6 से 8 घंटे के घोषित बिजली कट के साथ ही इतनी अवधि की अघोषित बिजली कटौती खून के आंसू रुला रही है। इसमें प्रशासन की उस सलाह ने जबर्दस्त तड़का लगाया है जिसमें कश्मीरियों को इस बार धान की फसल न लगाने के लिए कहा गया है।

 
करीब 1 महीने तक 10 से 12 घंटों की अघोषित कटौती के बाद बिजली विभाग ने शहरों में आज 6 घंटों की कटौती का शेडयूल तो जारी किया, पर तापमान के 42 को छूने के कारण वह इस पर टिक नहीं पाया। नतीजतन 8 से 14 घंटों की कटौती सहन करने को मजबूर लोगों में त्राहि-त्राहि मची है।
 
मजेदार बात यह है कि पिछले 1 साल से स्मार्ट मीटर लगाने की मुहिम में जुटा विभाग अखबारों में बड़े-बड़े इश्तहार देकर 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने के लंबे चौड़े दावे कर रहा था, पर अब वे सभी अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी का कहना था कि आप मौसम के प्रति कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकते।
प्रशासन कहता है कि जबर्दस्त गर्मी और बारिशें न होने से बिजली की मांग बढ़ी है और उत्पादन कम हो गया है।
 
हालांकि केंद्र ने प्रदेश को और 200 मेगावॉट बिजली देने की घोषणा की, पर वह 'ऊंट के मुंह में जीरे' के ही समान है। कारण यह है कि मांग 1500 मेगावॉट की है और इसको मिलाकर आपूर्ति 700 मेगावॉट तक ही पहुंच पाई है। नतीजा यह है कि बिजली आपूर्ति न होने से कई इलाकों में 3 से 5 दिनों तक पीने के पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है और लोगों के कंठ सूख रहे हैं।
 
इसी क्रम में प्रशासन की उस सलाह ने कश्मीरियों के जख्मों पर नमक छिड़का है जिसमें कहा जा रहा है कि वे इस बार धान की फसल को न लगाएं। दरअसल इस बार पर्याप्त बर्फबारी व बारिश न होने पैदा हुए हालात देख सिंचाई विभाग ने किसानों को सिंचाई विभाग ने धान की खेती न करने की सलाह जारी की है। फिलहाल यह सलाह उत्तरी कश्मीर के लिए है, लेकिन ऐसे ही हालात रहे तो वादी के शेष हिस्सों के किसानों को भी इस पर अमल करने की जरूरत पड़ सकती है। किसानों से कहा गया है कि इस बार धान के बजाय ऐसी फसल लगाएं जिसे कम पानी की जरूरत होती है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
ये भी पढ़ें
Xiaomi की 5551 हजार करोड़ की संपत्ति की जब्त, ED ने की कार्रवाई