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Last Updated : बुधवार, 29 सितम्बर 2021 (23:47 IST)

अयोध्या के उदासीन आश्रम में मन रहा है गुरु पर्व महोत्सव

अयोध्या के उदासीन आश्रम में मन रहा है गुरु पर्व महोत्सव - Guru Parv mahotsav is being celebrated in the Udasin ashram of Ayodhya
अयोध्या। धर्म नगरी अयोध्या धाम में स्थित सिद्ध महापुरुषों की तपोस्थली उदासीन संगम ऋषि आश्रम रानोपाली 'श्रीधाम' में इन दिनों पितृ-पक्ष के दौरान श्रीमहंत स्वामी डॉ. भरत दास महराज द्वारा भव्य रूप से अपने श्री गुरुओं का 'श्री गुरु पर्व महोत्सव' मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत विभन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन, सत्‍संग एवं विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जा रहा है।

महंत डॉ. भरत दास ने 'वेबदुनिया' को जानकारी देते हुए बताया कि अयोध्या नगरी में स्थित इस उदासीन आश्रम की स्थापना 17वीं शताब्दी में बाबा संगत बक्श के द्वारा की गई थी। वे बड़े सिद्ध व तपस्वी महापुरुष थे, जिनकी समाधि इसी आश्रम में है। समाधि के पास जाने से आज भी उनकी दिव्य अनुभूति होती है। उन्होंने सनातन परंपरा की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए सभी कार्यक्रम अनवरत उसी तरह चल रहे हैं।

डॉ. भरत दास जी ने बताया कि उदासीन का आशय है उद-ब्रह्मा-आसीन अर्थात जो ब्रह्म में निरंतर चिंतन करने वाला। उन्होंने कहा कि उदासीन परंपरा जो है, वह हमारी वैदिक सनातन परंपरा में जो वेद परंपरा में चतुर्विद संप्रदाय हैं और उनके आचार्य हैं सनक, सनंदन, सनत कुमार। उनके द्वारा प्रवृतित इस संप्रदाय का उद्देश्य है जनसेवा, पंच देवों की उपासना, गौसेवा, धर्म व धर्मग्रंथों की रक्षा करना।

उन्होंने कहा कि उदासीन एक अद्भुत परंपरा है, जो कि हमारे जगद्गुरु श्रीचंद्र भगवान के द्वारा स्थापित व शुरू की हुई है। श्रीचंद्र भगवान सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी के सुपुत्र हैं। श्रीचंद्र भगवान महातपस्वी एवं बड़े ही सिद्ध गुरुदेव हैं।

भरत दास जी ने कहा कि हमारी वैदिक व शास्त्रीय परंपरा कृतज्ञता की ही है और हमारे महापुरुषों ने वेद व शास्त्रों में ये जो पितृ-पक्ष 15 दिनों तक मनाया जाता है, इस दौरान अपने गुरुओं, आचार्यों, माता-पिता व महापुरुषों उनके निमित्त इस पितृ-पक्ष में हम लोग शास्त्रसम्मत एवं विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

उन्होंने बताया कि इस अवसर पर ध्वजा साहब का पूजन किया जाता है। इस गुरु महापर्व महोत्स्व में आश्रम के अनुयायी, भक्त, श्रद्धालु इत्यादि सभी जन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस दौरान श्रीमद्भभागवत ज्ञान यज्ञ, श्रीरामचरित मानस अखंड पाठ, महापुरुषों-संतों द्वारा आशीष वचन, सत्संग एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।
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