गुजरात के स्कूलों में 8वीं तक गुजराती भाषा पढ़ाना अनिवार्य, विधेयक पास, न पढ़ाने पर 2 लाख का जुर्माना
गांधीनगर। गुजरात विधानसभा ने आम राय से राज्य के सभी प्राथमिक विद्यालयों में गुजराती भाषा के शिक्षण को अनिवार्य बनाने वाला विधेयक पारित कर दिया। इसमें सीबीएसई, आईसीएसई और आईबी बोर्ड के प्राथमिक विद्यालय भी शामिल हैं। इसके अनुसार, अगर कोई विद्यालय 'गुजरात, गुजराती भाषा अनिवार्य शिक्षण एवं अधिगम विधेयक-2023' के प्रावधानों का उल्लंघन एक साल से अधिक समय तक करता है, तो सरकार बोर्ड या इंस्टिट्यूशन को निर्देश देगी कि वह उस स्कूल को असंबद्ध कर दे।
साथ ही स्कूल को 2 लाख रुपए तक का जुर्माना भी देना पड़ेगा। यह विधेयक राज्य के शिक्षा मंत्री कुबेरभाई डिंडोर की ओर से पेश किया गया जिसे 182 सदस्यीय विधानसभा में आम राय से पारित कर दिया गया। विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी इसके प्रावधानों का समर्थन किया।
विधेयक के दस्तावेज के मुताबिक जिन विद्यालयों में अभी गुजराती भाषा की पढ़ाई नहीं हो रही है, वे आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-24 से गुजराती को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में कक्षा एक से कक्षा आठ तक के पाठ्यक्रम में चरणबद्ध तरीके से शामिल करेंगे।
डिंडोर ने कहा कि 'हर विद्यालय को गुजराती को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में पढ़ाने के लिए गुजरात सरकार की ओर से निर्धारित पाठ्यपुस्तकों का अनुसरण करना होगा। राज्य सरकार इस विधेयक के प्रावधानों को लागू कराने के लिए शिक्षा विभाग के एक उपनिदेशक स्तर के अधिकारी को सक्षम प्राधिकारी के रूप में नियुक्त करेगी। भाषा Edited By : Sudhir Sharma