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Last Modified: बुधवार, 1 मार्च 2023 (23:21 IST)

'...तो एकनाथ शिंदे नहीं बन पाते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री', जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की यह टिप्पणी?

'...तो एकनाथ शिंदे नहीं बन पाते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री', जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की यह टिप्पणी? - eknath shinde couldnt have become cm of maharashtra if know why the supreme court-made this comment
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि यदि विधानसभा अध्यक्ष को 39 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने से नहीं रोका जाता तो शिवसेना (Shiv Sena) नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले पाते।
 
शिंदे धड़े ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि यदि 39 विधायक विधानसभा से अयोग्य हो जाते, तो भी महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार गिर जाती, क्योंकि वह बहुमत खो चुकी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बहुमत परीक्षण से पहले इस्तीफा दे दिया था।
 
शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे-नीत नई सरकार का गठन सर्वोच्च अदालत के दो आदेशों का 'प्रत्यक्ष और अपरिहार्य नतीजा' था, जिसने राज्य के न्यायिक और विधायी अंगों के बीच "सह-समानता और परस्पर संतुलन को बिगाड़ दिया।
 
ठाकरे धड़े ने न्यायालय से कहा था कि इन आदेशों में 27 जून, 2022 को विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता संबंधी लंबित याचिकाओं पर फैसला करने की अनुमति नहीं देना और 29 जून, 2022 के आदेश में विश्वास मत की अनुमति देना शामिल हैं।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने शिंदे धड़े की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल से कहा कि वे (उद्धव गुट) इस हद तक तो सही हैं कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में राज्यपाल द्वारा शपथ दिलाई गई थी और वह अपना बहुमत इसलिए साबित करने में सक्षम हो सके थे, क्योंकि शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही कर पाने में अध्यक्ष सक्षम नहीं थे।
 
कौल ने कहा कि 29 जून, 2022 के ठीक बाद, ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि उन्हें पता था कि उनके पास बहुमत नहीं है और पिछले साल चार जुलाई को हुए बहुमत परीक्षण में, उनके गठबंधन को केवल 99 वोट मिले थे, क्योंकि एमवीए के 13 विधायक मतदान से अनुपस्थित थे।
 
पिछले साल 4 जुलाई को शिंदे ने राज्य विधानसभा में भाजपा और निर्दलीयों के समर्थन से बहुमत साबित किया था और 288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, जबकि 99 ने इसके विरोध में मतदान किया था। सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।
 
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े से सवाल किया था कि क्या महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में गठबंधन को जारी रखने की शिवसेना पार्टी की इच्छा के खिलाफ जाने का कदम ऐसी अनुशासनहीनता है, जिसके कारण उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है।
 
शिंदे गुट ने अपने रुख का बचाव करते हुए कहा था कि विधायक दल मूल राजनीतिक दल का एक अभिन्न अंग है। उसने कहा था कि पार्टी द्वारा पिछले साल जून में दो व्हिप नियुक्त किए गए थे और उसने उस व्हिप के आदेश का पालन किया, जिसने कहा था कि वह राज्य में गठबंधन जारी नहीं रखना चाहता है। भाषा Edited By : Sudhir Sharma 
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