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Last Updated : मंगलवार, 2 जून 2020 (21:32 IST)

जेसिका लाल हत्याकांड का दोषी मनु शर्मा तिहाड़ जेल से रिहा

जेसिका लाल हत्याकांड का दोषी मनु शर्मा तिहाड़ जेल से रिहा - Delhi LG allows releases of Jessica Lal murder convict Manu Sharma
नई दिल्ली। दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल द्वारा समय से पूर्व जेल से रिहा करने की मंजूरी मिलने के बाद जेसिका लाल हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी मनु शर्मा को सोमवार को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। महानिदेशक (जेल) संदीप गोयल ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
 
अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले दिल्ली सजा समीक्षा बोर्ड (डीएसआरबी) ने पिछले महीने मनु शर्मा को समय से पूर्व रिहा करने की सिफारिश की थी, जिसके बाद उपराज्यपाल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा की रिहाई को मंजूरी दे दी।
 
उन्होंने कहा कि 29 मई को दिल्ली गृह विभाग ने शर्मा समेत 19 दोषियों को समय पूर्व रिहा किए जाने संबंधी आदेश जारी किया था। गोयल ने कहा, 'शर्मा को सोमवार को जेल से रिहा किया गया। उसने 17 साल जेल में बिताए। छूट के साथ उसकी वास्तविक अवधि 23 वर्ष और चार महीने है।'
 
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्यैंद्र जैन की अध्यक्षता में 11 मई को हुई एसआरबी की बैठक में यह सिफारिश की गई थी। मनु शर्मा को जेसिका लाल की हत्या के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिसम्बर 2006 में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
 
निचली अदालत ने उसे हत्या के आरोप से बरी कर दिया था लेकिन उच्च न्यायालय ने उसके आदेश को पलट दिया, जिसे अप्रैल 2010 में उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा। उसके वकील अमित साहनी ने कहा, 'मनु शर्मा अप्रैल के पहले सप्ताह से ही पेरोल पर था। उसे सोमवार को तिहाड़ जेल से रिहा किया गया।'
 
साहनी ने कहा कि जेल में रहने की अवधि के दौरान शर्मा का आचरण अच्छा रहा और दावा किया कि वह समय से पूर्व जेल से रिहा किए जाने योग्य था। दक्षिण दिल्ली के मेहरौली इलाके में कुतुब कोलोनेड में सोशलाइट बीना रमानी के ‘टैमरिंड कोर्ट’ रेस्तरां में 30 अप्रैल 1999 को उसने जेसिका लाल की सिर्फ इसलिए गोली मारकर हत्या कर दी थी, क्योंकि उसने उसे शराब देने से मना कर दिया था।
 
इस बीच, महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली कार्यकर्ताओं ने शर्मा की रिहाई के फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' और 'गलत मिसाल' करार दिया। राजनीतिज्ञ वृंदा करात ने कहा कि शर्मा को समय से पहले रिहा किए जाने का कोई आधार नहीं है और इस बात को लेकर आश्चर्य है कि दिल्ली सरकार की अध्यक्षता वाला बोर्ड इस तरह की सिफारिश का निर्णय लेकर सामने आया है।
 
उन्होंने कहा, 'किस आधार पर डीएसआरबी ने एक अपराधी को तीन साल पहले ही रिहा किए जाने की सिफारिश की?....जो कि एक युवती की हत्या का दोषी है। इसने एक गलत मिसाल कायम की है।' महिला अधिकार कार्यकर्ता शमीना शफीक ने कहा कि शर्मा को रिहा किए जाने का फैसला 'चौंकाने वाला' और 'तर्कहीन' है।
 
राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य शफीक ने कहा, 'देश पहले ही महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने की चिंताओं से घिरा हुआ है। सरकार को असल में अपराधियों पर इस तरह नरमी दिखाने के बजाय सख्त सजा दिए जाने के बारे में सोचना चाहिए ताकि समाज में एक मजबूत संदेश जा सके, खासकर ऐसे गंभीर अपराध के मामलों में। यह असल में सोचने को मजबूर करता है कि क्या वाकई में सरकार बेटी बचाओ को लेकर गंभीर है अथवा यह सिर्फ एक नारा है।' (भाषा)
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