महाराष्ट्र में बाढ़ का कहर, सांगली के गांवों में सड़क से लेकर छत तक 'मगरमच्छ'
पुणे। भारी बारिश के कारण आई बाढ़ के बाद महाराष्ट्र में सांगली के कुछ आवासीय इलाकों में मगरमच्छ देखे जाने के बाद वन विभाग ने इन सरीसृपों को बचाने तथा इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे इलाकों में छह केंद्र स्थापित किए हैं।
पश्चिमी महाराष्ट्र में सांगली हाल में भारी बारिश से प्रभावित रहा है जिससे जिले में कई स्थानों पर पानी भर गया है। बाद में, बारिश जब थोड़ी हल्की पड़ी और कृष्णा नदी के किनारों के पास के गावों में जलस्तर घटने के साथ ही कुछ सड़कों, नालों और यहां तक कि घरों की छतों पर भी मगरमच्छ देखे गए जिससे लोगों में घबराहट पैदा हो गई।
वन अधिकारियों के मुताबिक, लगभग 15 गांवों से गुजरने वाली नदी के 60-70 किमी हिस्से में मगरमच्छों का आवास है जिनमें भीलवाड़ी, मालवाड़ी, दिगराज, ऑदंबारवाड़ी, चोपाड़ेवाड़ी और ब्रह्मनाल शामिल हैं। पूर्व में, इनमें से कुछ इलाकों में इंसानों और जानवरों के टकराव की घटनाएं हुई हैं।
सांगली रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी पी जी सुतार ने बताया कि हाल की भारी बारिश में, कुछ गांवों में बाढ़ के पानी के साथ मगरमच्छ बहकर आ गए थे। एक मामले में, एक घर की छत के ऊपर भी मगरमच्छ देखा गया लेकिन बाद में वह पानी के बहाव के साथ नदी की तरफ लौट गया था।
उप वन संरक्षक (सांगली) विजय माने ने बताया कि वन विभाग ने सांगली शहर के कुछ बाढ़ प्रभावित इलाकों - कावते महाकाल, पालस, काडेगांव, वाल्वा और तासगांव के पास छह केंद्र स्थापित किए हैं ताकि इन स्थानों से मगरमच्छों को निकाला जा सके।
उन्होंने बताया कि इन बचाव केंद्रों पर वन अधिकारी, गार्ड और वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के सदस्य मगरमच्छों, सांपों, घायल पक्षियों और मानवीय बसावटों में अन्य जंगली जानवरों की मौजूदगी की जानकारी मिलने पर वहां पहुंचेंगे। (भाषा)