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Written By एन. पांडेय
Last Updated : मंगलवार, 13 जून 2023 (16:45 IST)

नाबालिग लड़की को भगाने के बाद उत्तरकाशी जिले में सांप्रदायिक सद्भाव खतरे में

नाबालिग लड़की को भगाने के बाद उत्तरकाशी जिले में सांप्रदायिक सद्भाव खतरे में - Communal harmony in danger in Uttarkashi district
Dehradun News: मुस्लिम विधायकों के उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले (Uttarkashi district) के पुरौला में नाबालिग लड़की को भगाने के आरोप के बाद मचे बवंडर को लगातार हवा दिए जाने से पहाड़ का सांप्रदायिक सद्भाव खतरे में है। इस मसले पर सोमवार को असदउद्दीन औवेसी (Asaduddin Owaisi) के ट्वीट ने इसे फिर हवा दे दी।
 
औवेसी ने अपने ट्वीट में लिखा- 'भाजपा सरकार का काम है कि गुनहगारों को जेल भेजे और जल्द अमन कायम हो। आगामी 15 जून को होने वाली महापंचायत पर तुरंत रोक लगाई जाए। वहां रह रहे लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाए। वहां से पलायन कर गए लोगों को वापस बुलाने का इंतजाम किया जाए।'
 
इसके बाद कुछ मुस्लिम विधायकों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। मामले को हवा मिलने के बाद पूरे जिले में हिन्दूवादी संगठनों का जुलूस प्रदर्शन तो जारी है ही, एक खास समुदाय के व्यापारियों के उत्तरकाशी से पलायन का मामला सांप्रदायिक रंग देने का भी प्रयास जारी रहा है।
 
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट के बाद गरमाएमाहौल के बीच 15 जून को बुलाई गई महापंचायत रोकने के लिए जिलाधिकारी सोमवार को पुरोला पहुंचे। लेकिन दोनों समुदायों को समझाने के बावजूद कोई बात बनती नजर आती नहीं दिखी। पुरोला में महापंचायत और समुदाय विशेष के लोगों के पलायन के मामले ने पूरे देश में हलचल मचाई हुई है।
 
पुरोला मामले में जनप्रतिनिधियों का जो प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला, उसमें उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स, लक्सर विधायक हाजी मो. शहजाद, राज्य हज समिति के अध्यक्ष खतीब अहमद, वक्फ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद अनीस, सदस्य इकबाल अहमद, राज्य हज समिति सदस्य नफीस अहमद ने मांग की कि पहाड़ में माहौल खराब कर रहे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
 
उन्होंने कहा कि पीढ़ियों से राज्य में रह रहे लोगों को कुछ असामाजिक तत्व प्रताड़ित कर रहे हैं जिससे समुदाय विशेष के लोग पलायन कर रहे हैं। दूसरी तरफ पुरोला विवाद के बीच वायरल हुए वीडियो को पुलिस ने जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेज दिया है। वीडियो को बड़कोट का बताया जा रहा है।
 
इसी 15 जून को प्रस्तावित महापंचायत की हर गतिविधि पर नज़र रखने के लिए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ. वी. मुरुगेशन ने एसपी उत्तरकाशी को निर्देशित करते हुए कहा कि जो भी कानून हाथ में लेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
 
इस महापंचायत के विरोध में मुस्लिम समुदाय ने भी 18 जून को देहरादून में महापंचायत बुलाई है। इसमें पर्वतीय इलाकों से मुस्लिम समाज के लोगों के पलायन पर चर्चा की जाएगी। पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद के शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि पर्वतीय इलाकों से समाज के लोगों का पलायन करना दुख की बात है। इसके विरोध में गांधी रोड स्थित पुराने बस स्टैंड के पीछे महापंचायत होगी जिसमें प्रदेशभर से समाज के लोग प्रतिभाग करेंगे।
 
लव जिहाद के ऐसे कथित मामलों को हवा मिलने से उत्तराखंड में तनाव है। पुरोला में यहां नाबालिग लड़की को भगाने की घटना को 18 दिन बीत गए हैं लेकिन हालात सामान्य नहीं हुए हैं। 15 जून को होने वाली प्रस्तावित महापंचायत को लेकर मुस्लिम व्यापारियों में डर का माहौल और अधिक बढ़ गया है।
 
गत 26 मई को बिजनौर निवासी जितेन्द्र सैनी और उवेस खान ने पुरोला में एक नाबालिग लड़की को भगाने का प्रयास किया जिन्हें स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने पकड़ा। जिसके बाद पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों के विरुद्ध स्थानीय व्यापारियों और स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ा और प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया। पुरोला, बड़कोट, भटवाड़ी में मामले को लेकर प्रदर्शन हुए।
 
प्रदर्शनकारियों ने मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों पर धमकीभरे पोस्टर चस्पा कर दिए और उन्हें दुकान खाली करने की धमकी दी। इसमें लिखा था 15 जून को होने वाली महापंचायत से पहले दुकानें खाली करें। तब से अभी तक पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों की एक भी दुकान नहीं खुल पाई है। पुरोला में 30 से अधिक दुकानें पिछले 18 दिनों से बंद हैं जबकि 14 व्यापारियों ने दुकानें खाली कर दी हैं।
 
इस मामले को लेकर भाकपा (माले) उत्तराखंड के राज्य सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने पुलिस डीजी को पत्र लिखते हुए सवाल उठाया है कि जब आरोपी 2 अलग-अलग धर्मों के हैं तो एक धर्म विशेष के खिलाफ माहौल क्यूं बनाया जा रहा है? पत्र में मैखुरी ने ये भी कहा है कि पुरोला में अल्पसंख्यकों की दुकानों पर पोस्टर चस्पा कर दिए गए जिसमें उनसे 15 जून 2023 तक अपनी दुकानें खाली करने को कहा गया है।
 
उनके अनुसार दुकानों पर पोस्टर लगाए जाने के मामले में पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है जबकि पोस्टर पर 'देवभूमि रक्षा अभियान' लिखा हुआ है। इसके बावजूद मुकदमा अज्ञात के विरुद्ध दर्ज होना हैरत में डालता है। पत्र में यह भी उल्लेख है कि एक व्यक्ति ने अपने फेसबुक अकाउंट से DGP से मुलाकात का फोटो साझा किया और लिखा कि उक्त व्यक्ति ने लव जिहाद के मामले में DGP से बात हुई।
 
पोस्ट में यह भी लिखा है कि उक्त व्यक्ति ने DGP से कहा कि पुलिस जबरन पुरोला में दुकानें खुलवाने का प्रयास न करे। गैरकानूनी तरीके से डराकर बंद करवाई गई दुकानों के मामले में DGP से ऐसा कहना कि 'पुलिस जबरन दुकानें खोलने की कोशिश न करें' हैरतअंगेज ही नहीं बल्कि पुलिस को सीधी धमकी है।
 
मैखुरी के अनुसार जिस फेसबुक अकाउंट पर ये बातें लिखी हुई हैं, उसका नाम है- 'देवभूमि रक्षा अभियान।' पुरोला में अल्पसंख्यकों की दुकानों के बाहर धमकीभरे पोस्टरों पर भी यही नाम लिखा है- 'देवभूमि रक्षा अभियान।'
 
मैखुरी ने कहा है कि पुरोला में पोस्टर लगाने के लिए पुलिस ने जिस अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है, वह तो खुलेतौर पर DGP के कार्यालय में न केवल फोटो खिंचवा रहा है, बल्कि दावा भी कर रहा है कि उसने DGP से भी कहा कि पुलिस जबरन पुरोला में दुकानें खोलने की कोशिश न करें। इस पत्र के जरिये मैखुरी ने सवाल उठाया कि राज्य के पुलिस प्रमुख होने के बाद भी DGP ऐसी बातें क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं?
 
Edited by: Ravindra Gupta
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