मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Chhattisgarh High Court, Parliamentary Secretary
Written By
Last Modified: सोमवार, 5 फ़रवरी 2018 (17:32 IST)

हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में फैसला रखा सुरक्षित

हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में फैसला रखा सुरक्षित - Chhattisgarh High Court, Parliamentary Secretary
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन तथा न्यायाधीश शरद कुमार गुप्ता की युगल पीठ ने यह फैसला सुरक्षित रख लिया है।


प्रदेश में 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते पूर्व मंत्री तथा कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर तथा हमर संगवारी संस्था के राकेश चौबे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले में युगल पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हालांकि मुख्यमंत्री ने उसी दौरान महाधिवक्ता के माध्यम से आवेदन दाखिल कर मांग की थी कि इस मामले में उन्हें व्यक्तिगत रुप से पक्षकार नहीं बनाया जावे, क्योंकि उन्होंने संसदीय सचिवों की नियुक्ति मुख्यमंत्री के रूप में की थी, व्यक्तिगत तौर पर नहीं।

याचिका में विधायकों शिवशंकर पैंकरा, लखन देवांगन,तोखन साहू, राजू सिंह क्षत्री, अंबेश जांगडे, रूप कुमारी चौधरी, गोवर्धन सिंह मांझी, लाभचंद बाफना, मोतीराम चंद्रवंशी, चंपादेवी पावले, सहित सुनीति सत्यानंद राठिया की संसदीय सचिव पद पर नियुक्ति को असंवैधानिक एवं अवैध बताते पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लेख किया गया था।

न्यायमूर्ति टीबी राधाकृष्णन तथा न्यायमूर्ति शरद गुप्ता की युगल पीठ ने एक अगस्त को अपने अंतरिम फैसले में संसदीय सचिवों के अधिकारों तथा कामकाज पर रोक लगा थी। याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर ने पिछले दिनों सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर अदालत के आदेश के विपरीत लाभ लेना जारी रखने के मामले में अवमानना का मामला भी युगल पीठ के समक्ष रखा था।

गत शुक्रवार को याचिकाकर्ताओं और राज्य का पक्ष सुनने के बाद युगल पीठ ने संसदीय सचिवों को भी आज अपना पक्ष रखने का मौका दिया पर आज किसी भी संसदीय सचिव ने अपना पक्ष नहीं रखा। दो राज्यों के संसदीय सचिवों के मामले में उच्चतम न्यायालय तथा दिल्ली सरकार के खिलाफ चुनाव आयोग के फैसले के बाद राज्य के मामले में उच्च न्यायालय के फैसले पर सबकी नजर लगी हुई हैं। (वार्ता)
ये भी पढ़ें
आवास क्षेत्र को मिलेगी विदेशी पूंजी, कर छूट और सस्ता ऋण