केंद्र सरकार कुकी उग्रवादियों से वार्ता नहीं करे : सीओसीओएमआई
इंफाल। इंफाल के कई नागरिक समाज संगठनों के साझा मंच 'कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (सीओसीओएमआई)' ने मंगलवार को मणिपुर में जारी अशांति के लिए कुकी उग्रवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्र से अपील की कि वह उनसे बात नहीं करे। सीओसीओएमआई ने यह भी दावा किया कि कुकी उग्रवादी संगठनों के सदस्य 'विदेशी' हैं।
सीओसीओएमआई के संयोजक जितेंद्र निंगोम्बा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मीडिया के सूत्रों से हमें सूचना मिली है कि भारत सरकार कुकी संगठनों के साथ बातचीत करने वाली है। हम पूरी तरह से इसके खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को संघर्ष विराम (एसओओ) से जुड़े संगठनों में से किसी के साथ वार्ता नहीं करनी चाहिए। केंद्र, मणिपुर सरकार और 2 कुकी उग्रवादी संगठनों- 'कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन' और 'यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट' के बीच एसओओ पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि 2008 में हुई थी जिसकी अवधि कई बार बढ़ाई गई।
निंगोम्बा ने कहा कि हम कुकी उग्रवादी संगठनों और भारत सरकार के बीच किसी भी वार्ता के विरूद्ध हैं क्योंकि ए संगठन विदेशी नागरिकों के संगठन हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को कायम रखने और पृथक प्रशासन की अनुमति नहीं देने की अपनी मांग को लेकर सीओसीओएमआई 29 जुलाई को रैली आयोजित करेगी।
मणिपुर में चिन-कुकी-मिजो-जोमी से संगठन से संबद्ध 10 आदवासी विधायकों ने मेइती और आदिवासियों के बीच हिंसक संघर्ष के आलोक में केंद्र से अपने समुदायों के लिए पृथक प्रशासन के गठन की अपील की है। इस पूर्वोत्तर राज्य में करीब तीन महीने पहले जातीय हिंसा शुरू हुई थी जिसमें 160 से अधिक लोगों की जान चली गई तथा सैंकड़ों अन्य घायल हुए।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान हिंसा भड़की थी। राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta