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Last Updated : सोमवार, 6 फ़रवरी 2023 (21:54 IST)

बंबई उच्च न्यायालय का अहम फैसला, तलाक के बाद भी महिला गुजारा भत्ता पाने की हकदार

बंबई उच्च न्यायालय का अहम फैसला, तलाक के बाद भी महिला गुजारा भत्ता पाने की हकदार - Bombay High Court's important decision regarding divorce
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक महिला तलाक के बाद भी घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (डीवी अधिनियम) के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। न्यायमूर्ति आरजी अवाचत की एकल पीठ 24 जनवरी को पारित आदेश में सत्र अदालत के मई 2021 के फैसले को बरकरार रखते हुए एक पुलिस कांस्टेबल को अपनी तलाकशुदा पत्नी को प्रतिमाह 6 हजार रुपए का गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया।
 
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिका सवाल उठाती है कि क्या एक तलाकशुदा महिला डीवी अधिनियम के तहत गुजारा भत्ते का दावा करने के लिए पात्र है? पीठ ने कहा कि घरेलू संबंध की परिभाषा में 2 व्यक्तियों के बीच ऐसे संबंध का जिक्र है जिसके तहत वे विवाह या वैवाहिक प्रकृति के संबंधों के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और एक साझा घर में साथ रहते हैं या फिर अतीत में किसी भी समय साथ रह चुके हैं।
 
उच्च न्यायालय ने कहा कि पति होने के नाते याचिकाकर्ता पर अपनी पत्नी के भरण-पोषण की व्यवस्था करने का वैधानिक दायित्व है। चूंकि वह इसका इंतजाम करने में नाकाम रहा, प्रतिवादी/पत्नी के पास डीवी अधिनियम के तहत याचिका दायर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
 
न्यायमूर्ति अवाचत ने कहा कि याचिकाकर्ता भाग्यशाली है कि उसे सिर्फ प्रतिमाह 6 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया है जबकि वह पुलिस सेवा में कार्यरत है और हर महीने 25 हजार रुपए से अधिक वेतन पाता है।
 
याचिका के मुताबिक पुलिस कांस्टेबल और महिला की मई 2013 में शादी हुई थी तथा दोनों वैवाहिक मतभेदों के चलते जुलाई 2013 से अलग रहने लगे थे। बाद में उन्होंने तलाक ले लिया था। तलाक की अर्जी पर सुनवाई के दौरान महिला ने डीवी अधिनियम के तहत गुजारे भत्ते की मांग की थी।
 
परिवार अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उसने सत्र अदालत का रुख किया था। सत्र अदालत ने मई 2021 में महिला की मांग स्वीकार कर ली थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया था कि चूंकि दोनों के बीच अब कोई वैवाहिक संबंध अस्तित्व में नहीं है, इसलिए उसकी पूर्व पत्नी डीवी अधिनियम के तहत किसी भी राहत की हकदार नहीं है। उसने आगे कहा कि शादी टूटने की तारीख तक भरण-पोषण से संबंधित सभी बकाया चुका दिया गया था।
 
महिला ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि डीवी अधिनियम के प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि एक पत्नी जिसे तलाक दे दिया गया है या जो तलाक ले चुकी है, वह भी गुजारा भत्ता और अन्य राहत के लिए दावा करने की पात्र है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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