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  4. Why is Paramhansa angry about Shaligram Shila reaching Ayodhya?
Written By संदीप श्रीवास्तव
Last Updated: सोमवार, 6 फ़रवरी 2023 (22:36 IST)

अयोध्या पहुंची शालिग्राम शिला को लेकर क्यों नाराज हैं परमहंस?

अयोध्या। अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले तपस्वी छावनी अयोध्या के स्वामी परमहंस नेपाल से अयोध्या पहुंचीं देव शिलाओं (शालिग्राम शिला) को लेकर काफी नाराज हैं। इन शिलाओं से मूर्तियों का निर्माण होना है, जबकि स्वामी परमहंस का कहना है कि शालिग्राम शिलाओं में छेनी-हथोड़ी नहीं लगाई जा सकती। अर्थात उनसे मनचाहा आकार नहीं दिया जा सकता है।
 
तपस्वी छावनी के महंत जगदगुरु स्वामी परमहंस ने श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि श्रीराम लला की मूर्ति निर्माण के उद्देश्य से लाए दुनिया के सबसे बड़े शालिग्राम हैं। एक श्रीराम लला, दूसरे श्री लक्ष्मण जी के स्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि अन्य शिलाओं से मूर्तियां बनाई जाती हैं और वैदिक विधि से उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। तब उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। किन्तु शालीग्राम स्वयं प्राण-प्रतिष्ठित भगवान हैं। इसलिए उनके ऊपर छेनी-हथोड़ी नहीं चल सकती। इन्हें इसी स्वरूप में प्रतिष्ठित करना उचित होगा।
उन्होंने कहा कि शालिग्राम शिला के रूप में राम लला प्रतिष्ठित हो रहे हैं। उनकी पूजा-अर्चना हो रही है आगे भी होती रहेगी,  लेकिन उसमें छेनी-हथोड़ी चलाई गई तो भयंकर अनर्थ हो जाएगा, जिस पर हमने श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से विचार करने हेतु मांग की है। उन्होंने कहा कि वेदों,पुराणों और शास्त्रों में क्या है, यहां क्या करना है, क्या नहीं करना है यह शास्त्र ही बताता है। शास्त्र सम्मत विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सही निर्णय नहीं लिया गया तो मैं अन्न-जल छोड़कर शरीर त्याग दूंगा। 
उल्लेखनीय है कि नेपाल के जनकपुर से शालिग्राम पत्थर करीब 6 दिन का लंबा सफर पूरा कर बुधवार (1 फरवरी) को देर रात अयोध्या पहुंची थी। 51 आचार्य और अयोध्या के संत-महंतों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शिलाओं का पूजन अर्चन किया गया। 
 
यह शिला नेपाल की पवित्र नदी गंडकी से लाया गया है, जो कि 6 करोड़ वर्ष पुराना ‍शालिग्राम पत्थर है। ये दो शिलाएं- 30 टन और 15 टन की बताई जा रही हैं। इनकी लंबाई लगभग 5 से 7 फुट है।