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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 11 मार्च 2023 (15:42 IST)

छत्तीसगढ़ में बिना CM फेस के चुनावी मैदान में BJP, मोदी के सहारे ही चुनावी नैय्या?

छत्तीसगढ़ में बिना CM फेस के चुनावी मैदान में BJP, मोदी के सहारे ही चुनावी नैय्या? - BJP will contest assembly elections in Chhattisgarh without CM face
साल के अंत में होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अब तक चेहरे का संकट नहीं सुलझा पाई है। जैसे-जैसे चुनाव का समय करीब आता जा रहा है भाजपा में चेहरे को लेकर कश्मकश बढ़ती जा रही है। 2018 विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा ने भले ही राज्य में कई बदलाव किए हो लेकिन अब उसको एक ऐसे चेहरे की तलाश है जिसके सहारे वह चुनावी मैदान में उतर सके। पिछले साल केंद्रीय नेतृत्व में प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश प्रभारी में बदलाव कर संगठन को मजबूत करने की प्रयास किया था लेकिन चुनाव से ठीक पहले भाजपा जमीन पर मजबूत नहीं नजर आ रही है।   

भूपेश के चेहरे को चुनौती नहीं-दरअसल छत्तीसगढ़ में भाजपा की लड़ाई कांग्रेस संगठन से अधिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चेहरे से है। भूपेश बघेल की लोकप्रियता में 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कोई कमी नहीं दिख रही है। 2018 में कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद सरकार की कमान संभालने के बाद भूपेश बघेल के लगातार अपने फैसलों से खुद की और सरकार की लोकप्रियता बनाए रखने के साथ अपने को एक मजबूत मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित किए हुए है। इसके साथ भूपेश बघेल की राजनीतिक और सांस्कृतिक पकड़ का मुकाबला प्रदेश भाजपा का कोई चेहरा नहीं कर पा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक से जुड़ाव की काट खोजने में भाजपा पूरी तरह विफल रही है।

वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले पिछले दिनों राज्य में जिस तरह से केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता देखी गई है उससे भी सियासत गर्मा गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में ईडी से लेकर सीबीआई की छापेमारी को सीधे भाजपा के डर से जोड़कर जनता को यह मैसेज देने की कोशिश कर रहे है कि भाजपा चुनाव में केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर डारने की कोशिश मे है।  

सरकार के खिलाफ भाजपा की धार कुंद-2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिस तरह से बुरी हार का सामना करना पड़ा था उससे पार्टी बीते पांच सालों में नहीं उबर पाई है। वहीं प्रदेश भाजपा में गुटबाजी के चलते बीते पांच सालों में भाजपा सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ कोई बड़ा प्रदर्शन भी नहीं कर पाई है। हलांकि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ सोशल मीडिया पर अक्रामक नजर आते है लेकिन जिस तरह से 2018 के विधानसभा चुनाव में रमन सिंहं के चेहरे पर भाजपा की बुरी हार हुई है उससे अब उनकी सूबे में सियासी पारी बहुत आगे बढ़ती हुई नहीं दिख रही है।
 

मुख्यमंत्री के चेहरे के बिना मैदान में भाजपा-ऐसे में जब विधानसभा चुनाव में छह महीने से कुछ अधिक समय ही शेष बचा है तब पार्टी नेतृत्व ने बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है।भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर कहते हैं कि भाजपा छत्तीसगढ़ में किसी चेहरे के साथ नहीं बल्कि भाजपा की रीति-नीति व विचारों,केंद्र सरकार की जनकल्याण की योजनाओं तथा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के कुशासन और भ्रष्टाचार को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के सवाल पर कह चुके है कि पार्टी में चुनाव से पहले चेहरा घोषित करने की पंरपरा नहीं है। गौरतलब है कि रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए 2018 में लड़े गए चुनाव में कांग्रेस ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 68 सीटों पर जीत हासिल की थी और भाजपा के हाथ सिर्फ 14 सीटें लगी थी। वहीं बीते चार सालों में हुए उपचुनाव के बाद वर्तमान में कांग्रेस के विधानसभा में 71 विधायक है।   

मोदी के चेहरे के भरोसे भाजपा-छत्तीसगढ़ में बीते चार सालों में प्रदेश नेतृत्व में कई बदलाव करने वाली भाजपा अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे चुनाव में उतरने की तैयारी में है। पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बस्तर से पार्टी का चुनावी शंखनाद कर मोदी सरकार की जनकल्याणाकरी योजनाओं के सहारे चुनाव में उतरने का एलान कर दिया।
 
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