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Written By विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 11 मार्च 2023 (12:45 IST)

सर्वे से संकट: मध्यप्रदेश मेंं BJP की जमीनी हालत डांवाडोल, एंटी इंकम्बेंसी और गुटबाजी पड़ रही भारी

सर्वे से संकट: मध्यप्रदेश मेंं BJP की जमीनी हालत डांवाडोल, एंटी इंकम्बेंसी और गुटबाजी पड़ रही भारी - Survey in Madhya Pradesh has increased BJP concern
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में 6 महीने से कुछ ही अधिक समय शेष बचा है। चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में आ डटे है।  राज्य अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गया है। चुनाव से ठीक पहले होने वाली सियासी उठापटक भी अब प्रदेश में तेज हो गई है, सबसे अधिक बैचेनी सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा में दिखाई दे रही है। इसकी बड़ी वजह पार्टी के अंदरूनी तौर पर कराए जा रहे सर्वे में पार्टी का विधानसभा चुनाव में डांवाडोल स्थिति में नजर आना।

सर्वे में 80 सीटों पर सिमटती भाजपा!-विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने जो आंतरिक तौर पर सर्वे कराए है उसमें पार्टी 230 सदस्यीय विधानसभा में 100 के आंकड़े को भी नहीं छूती दिख रही है। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आज की स्थिति में पार्टी सिर्फ 80 सीटों पर जीतती नजर आ रही है। ऐसे में अगर आज की स्थिति में पार्टी 2018 के मुकाबले और अधिक खराब हालत में नजर आ रही है। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस से पिछड कर प्रदेश की सत्ता गवां बैठी थी। हलांकि बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थकों के साथ पार्टी में आने के बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ था और भाजपा फिर सत्ता में लौटी थी।  

2023 विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व ने अपने-अपने स्तर पर जो सर्वे कराए है उसमें ग्वालियर-चंबल और विंध्य क्षेत्र में पार्टी की हालात काफी खराब बताई जा रही है। ग्वालियर चंबल में पार्टी एंटी इंकम्बेंसी के साथ-साथ गुटबाजी और भीतरघात से जूझना पड़ा रहा है। ग्वालियर-चंबल में नई भाजपा बनाम पुरानी भाजपा का सीधा टकराव भी जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच देखने को मिल रहा है। वहीं विंध्य में कांग्रेस की दमदार वापसी करने के आसार भी नजर आ रहे है।  

पार्टी के सर्वे में मौजूदा सरकार में शामिल कई मंत्रियों और कई सीनियर विधायकों की रिपोर्ट भी निगेटिव है और उन पर चुनाव में हार का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चुनाव में कई नए चेहरों को उतारने की तैयारी कर रहा है।

सरकार और संगठन में फेरबदल की अटकलें-विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जमीनी हालात को लेकर सरकार और संगठन में बेचैनी साफ नजर आ रही है। सोशल मीडिया से लेकर राजनीति गलियारों में सरकार और संगठन में लगातार बड़े फेरबदल की अटकलें चल रही है। चर्चाएं तो मुख्यमंत्री को भी बदले जाने की चल रही है। ऐसे में कयासबाजी भी तेज हो गई है कि चुनाव से पहले क्या मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे को बदल दिया जाएगा। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के नए कार्यकाल पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है जोकि फरवरी में खत्म हो चुका है।  

यहीं कारण है कि मध्यप्रदेश में लंबे समय से सरकार और संगठन में फेरबदल की अटकलें चल रही है। बताया जा रहा है कि पार्टी की शीर्ष नेतृत्व एंटी इंकम्बेंसी  फैक्टर को कम करने के लिए सत्ता और संगठन में बड़ी सर्जरी की तैयारी कर चुका है। फेरबदल की शुरुआत इस महीने विधानसभा सत्र के बाद मंत्रिमंडल विस्तार के साथ हो सकती है।

केंद्रीय नेतृत्व ने संभाली कमान-मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अब अपनी पूरी कामन अपने हाथ में ले ली है। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश ने भोपाल में अपना डेरा डाल दिया है। पिछले दिनों पार्टी कार्यसमिति की तीन दिनों की  बैठक के बाद पार्टी के सभी मोर्चा और प्रकोष्ठों के नेताओं के साथ बैठक कर शिवप्रकाश पार्टी की जमीनी स्थिति से रूबरू हो चुके है। इसके साथ पार्टी की चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए लगातार कोर कमेटी की बैठक के साथ विधानसभा सत्र के दौरान अब तक दो बार भाजपा विधायक दल की बैठक हो चुकी है।

51 फीसदी वोट शेयर पर टारगेट-मध्यप्रदेश में वर्तमान में 127 सीटों पर काबिज भाजपा ने 2023 विधानसभा चुनाव में 51 फीसदी वोट शेयर हासिल करने का लक्ष्य ऱाखता है। पार्टी 2018 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले अपने वोट शेयर में 10 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा कर 51 फीसदी वोटर शेयर के साथ 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।

 
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