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Last Modified: बुधवार, 16 नवंबर 2022 (20:06 IST)

Rajasthan : भारत जोड़ो यात्रा से पहले राजस्थान कांग्रेस में कलह, अजय माकन ने छोड़ा राजस्थान कांग्रेस प्रभारी का पद, मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखी चिट्ठी

Rajasthan : भारत जोड़ो यात्रा से पहले राजस्थान कांग्रेस में कलह, अजय माकन ने छोड़ा राजस्थान कांग्रेस प्रभारी का पद, मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखी चिट्ठी - Ajay Maken Resigns As Congress In Charge Of Rajasthan
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा से पहले ही प्रदेश कांग्रेस की कलह सामने आई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने 25 सितंबर के जयपुर के राजनीतिक घटनाक्रम का हवाला देते हुए राजस्थान प्रभारी की जिम्मेदारी छोड़ने की इच्छा जताई है।
 
खबरों के अनुसार माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि यह पार्टी के हित में है कि राजस्थान के लिए नया प्रभारी नियुक्त किया जाए। माकन ने यह पत्र गत 8 नवंबर को लिखा था।
 
सूत्रों ने बताया कि एक पृष्ठ के इस पत्र में माकन ने कहा है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ दिसंबर के प्रथम सप्ताह में राजस्थान में दाखिल होगी और 4 दिसंबर को उपचुनाव भी है, ऐसे में जरूरी है कि जल्द से जल्द नया प्रभारी नियुक्त किया जाए। राज्य की सरदारशहर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है।
 
माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को पत्र लिखकर प्रभारी पद छोड़ने का आग्रह ऐसे समय किया है जब ‘घोर अनुशासनहीनता’ के आरोप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी तीन नेताओं को नोटिस जारी किए हुए करीब 50 दिन का समय हो चुका है, लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
 
अनुशासनात्मक समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उनके जवाब भी आए गए हैं। अब इस पर कांग्रेस को अध्यक्ष को फैसला करना है कि आगे क्या करना है।
 
महत्वपूर्ण बात यह है कि खड़गे को लिखे पत्र में माकन ने 25 सितंबर के जयपुर के राजनीतिक घटनाक्रम को अपने नए कदम का आधार बताया है। उनका कहना है कि राजस्थान के लिए नया प्रभारी नियुक्त करना ही उचित रहेगा।
 
माकन के करीबी सूत्रों का कहना है कि पार्टी विधायक दल की बैठक के समानांतर अलग बैठक बुलाए जाने के घटनाक्रम और इससे जुड़े कुछ अन्य घटनाक्रमों के चलते माकन ने पद छोड़ने की पेशकश की है।
 
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक लगतार इसकी पैरवी कर रहे हैं कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होना चाहिए।
 
खड़गे ने पिछले महीने 26 अक्टूबर को पदभार संभाला था। राजस्थान का सियासी संकट उनके लिए पहला बड़ा इम्तहान है, हालांकि अब तक उनकी ओर से कोई विशेष पहल नहीं की गई है।
 
इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि गुजरात में चुनाव संपन्न होने तक आलाकमान शायद ही कोई बड़ा कदम उठाए। आलाकमान यह नहीं चाहेगा कि चुनाव के बीच राजस्थान में कोई सियासी बवाल फिर से खड़ा हो।
 
मुख्यमंत्री गहलोत गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
 
माकन ने खरगे को भेजे पत्र में कहा है कि वह श्रमिक संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से दिल्ली पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, ताकि प्रदूषण, झुग्गी-बस्तियों, रेहड़ी-पटरी वालों और अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों से जुड़े मुद्दे उठा सकें।
 
उन्होंने लिखा है, ‘‘मेरा पिछली तीन पीढ़ियों से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ाव है और चार दशक से सक्रिय कांग्रेस सदस्य होने के कारण मैं राहुल गांधी का धुर समर्थक बना रहूंगा। राहुल गांधी पर मुझे इस कदर विश्वास है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।’’
 
उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी। इसे कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के रूप में देखा गया था, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था।
 
हालांकि, सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी थी, क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
 
इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो, जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत नीत सरकार का समर्थन किया था। तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी।
 
इसके बाद कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा पार्टी नेता धर्मेंद्र राठौड़ को उनकी इस ‘घोर अनुशासनहीनता’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उनसे 10 दिन के भीतर यह बताने के लिए कहा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।
 
 
Edited by Sudhir Sharma
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