वडोदरा में भगवान शिव की 111 फुट ऊंची मूर्ति का किया अनावरण, 17.5 किलो सोने का हुआ इस्तेमाल
वड़ोदरा की सूरसागर झील में भगवान शिव की 111 फुट ऊंची मूर्ति को 12 करोड़ रुपए की लागत से सोने से मढ़वाया गया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य की इस एकमात्र 111 फुट ऊंची सोने की मूर्ति का अनावरण किया।
शहर के अधिकांश लोगों ने सूरसागर झील के बीच में भगवान शिव की सोने की परत चढ़ी मूर्ति की झलक देखी है, लेकिन कम ही लोग इसमें इस्तेमाल किए गए सोने की मात्रा और मूल्य के बारे में जानते हैं। प्रतिमा को खड़ा करने और सोने की परत चढ़ाने वाले ट्रस्ट ने अब खुलासा किया है कि इसमें करीब 12 करोड़ रुपए का सोना इस्तेमाल किया गया है।
मांजलपुर विधायक योगेश पटेल द्वारा शुरू की गई सत्यम शिवम सुंदरम समिति ने 1996 में 111 फुट ऊंची प्रतिमा पर काम शुरू किया और यह 2002 में बनकर तैयार हुई। प्रतिमा को जनता को समर्पित करने के 15 साल बाद इस पर सोना चढ़ाने का निर्णय लिया गया। संस्था के नेतृत्व में स्वर्ण संकल्प फाउंडेशन की शुरुआत की गई।
शिवजी की मूर्ति को सोने से मढ़वाने के लिए अमेरिका में बसीं डॉ. किरण पटेल और देश-विदेश के कई दानदाताओं ने श्री सर्वेश्वर महादेव की प्रतिमा पर करीब 17.5 किलोग्राम सोना चढ़वाने की अनुमानित लागत 12 करोड़ रुपए की पूरी राशि के लिए दान दिया है।
विधायक योगेश पटेल ने कहा कि सोना चढ़ाना एक मुश्किल काम था। उन्होंने कहा कि मचान खड़ा करना एक चुनौती थी क्योंकि मूर्ति बहुत लंबी थी और झील के बीच में स्थित थी। तेज हवा के कारण मजदूरों को परेशानी हुई।
सोने की परत चढ़ाने के लिए प्रतिमा को पहले केमिकल से साफ कर जिंक चढ़ाया गया। इसके बाद इसे तांबे और अंत में सोने से मढ़वाया गया। इस कार्य के लिए संस्था को अच्छा खासा चंदा मिला। पटेल ने खुलासा किया कि प्रतिमा को मढ़ाने में 17.5 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ। इस सोने की कीमत करीब 12 करोड़ रुपए है।
पटेल ने स्वर्गीय सावलीवाले स्वामी के नाम पर प्रतिमा का निर्माण किया। पटेल की भगवान शिव में अपार आस्था है। इस मूर्ति का नाम सर्वेश्वर महादेव है। हर साल शिवरात्रि के दिन शिवजी की सवारी नगर भ्रमण कर सूरसागर पर समाप्त होती है जहां प्रतिमा की आरती की जाती है। 18 फरवरी को महाशिवरात्रि को सोने की परत चढ़ी प्रतिमा औपचारिक रूप से शहर को समर्पित की जाएगी।
सूरसागर झील के मध्य में विराजमान श्री सर्वेश्वर महादेव की 111 फुट प्रतिमा, मंच और स्तंभों की संरचना 'अष्टसिद्धि यंत्र' तकनीक पर तैयार की गई है। उसके आधार से लेकर पूरे ढांचे में अंकशास्त्र, ज्योतिष, ग्रह विज्ञान, रंग विज्ञान, कंपन विज्ञान और राशि-कुंडली का प्रयोग किया गया है।
प्रतिमा की सोने की जड़ाई मूल रूप से ओडिशा के कारीगर राजेंद्र नायक और उनकी टीम द्वारा की गई थी। अंबाजी, शिरडी साईंबाबा मंदिर समेत देश के करीब 50 धार्मिक स्थलों में राजेंद्र नायक और उनकी टीम ने सोने की परत चढ़ाने का काम किया है।