Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के पहले दिन बन रहा शुभ संयोग, जानिए कुंभ स्नान के नियम
Rules of Kumbh Bath: महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में हो रही है, जो 26 फरवरी तक चलेगा। पहले दिन, पौष पूर्णिमा के अवसर पर, सोमवार के दिन रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है, जो स्नान और दान के महत्व को बढ़ाता है। रवि योग प्रात: 07:15 से 10:38 तक रहेगा। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि कुंभ स्थल के पवित्र जल में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप-कष्ट धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगाजी में स्नान करने से सात्विकता और पुण्यलाभ प्राप्त होता है। नियमों का पालन करते हुए महाकुंभ में स्नान करने से जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक विकास होता है।
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महाकुंभ 2025 के प्रमुख स्नान की तिथियां:
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13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा (प्रथम शाही स्नान)
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14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति
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29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या
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03 फरवरी 2025: बसंत पंचमी
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12 फरवरी 2025: माघी पूर्णिमा
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26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि (अंतिम शाही स्नान)
कुंभ स्नान के नियम:
1. उषा काल स्नान : उषा की लाली से पहले ही स्नान करना उत्तम माना गया है। इससे प्रजापत्य का फल प्राप्त होता है।
2. नदी स्नान से पूर्व स्नान: नदी से दूर तट पर ही देह पर हाथ मलमलकर नहा ले, तब नदी में डुबकी या गोता लगाए। शास्त्रों में इसे मलापकर्षण स्नान कहा गया है। यह अमंत्रक होता है। यह स्नान स्वास्थ और शुचिता दोनों के लिए आवश्यक है। देह में मल रह जाने से शुचिता में कमी आ जाती है और रोम छिद्रों के न खुलने से स्वास्थ में भी अवरोध होता है। इसलिए डुबकी लगाने के पूर्व मोटे कपड़े से प्रत्येक अंग को रगड़-रगड़ कर स्नान करना चाहिए।
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3. क्रम से करें स्नान : निवीत होकर बेसन आदी से यज्ञोपवीत भी स्वच्छ कर लें। इसके बाद शिखा बांधकर दोनों हाथों में पवित्री पहनकर आचमन आदी से शुद्ध होकर दाहिने हाथ में जल लेकर शास्त्रानुसार संकल्प करें। संकल्प के पश्चात मंत्र पड़कर शरीर पर गंगा जी की मिट्टी लगाएं। इसके पश्चात गंगाजी की उन उक्तियों को बोलें। इसके पश्चात नाभी पर्यंत जल मे जाकर, जल की ऊपरी सतह हटाकर, कान औए नाक बंद कर प्रवाह की और या सूर्य की और मुख करके स्नान करें।
4. पांच डुबकी लगाएं: तीन, पांच, सात या बारह डुबकियां लगाएं। डुबकी लगाने से पहले शिखा खोल लें। गृहस्थ लोगों के लिए महाकुंभ में पांच बार डुबकी लगाना महत्वपूर्ण माना गया है। यह प्रक्रिया स्नान को पूर्ण करती है और शुभ फल प्रदान करती है।
5. नागा साधुओं के बाद स्नान करें: महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं। उनके बाद ही अन्य श्रद्धालुओं को स्नान करना चाहिए। नियमों के अनुसार, नागा साधुओं से पहले स्नान करना उचित नहीं माना जाता।
6. सूर्य देव को अर्घ्य दें: स्नान के पश्चात दोनों हाथों से सूर्य देव को जल का अर्घ्य देना चाहिए। यह क्रिया कुंडली में सूर्य की स्थिति को मजबूत करती है और शुभ फल देती है।