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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 24 जनवरी 2025 (14:46 IST)

मौनी अमावस्या के बारे में 5 खास बातें, कुंभ स्नान और दान से मिलता है मोक्ष

मौनी अमावस्या के बारे में 5 खास बातें, कुंभ स्नान और दान से मिलता है मोक्ष - 5 special things about mauni amavasya shahi snan 2025
prayagraj mahakumbh shahi snan 2025:  29 जनवरी 2025 बुधवार के दिन मौनी अमावस्या रहेगी। इस दिन प्रयाग कुंभ मेले में शाही स्नान का आयोजन होगा। माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं जो एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन यदि कुंभ चल रहा हो तो इसे अमृत योग माना जाता है। इस योग में स्नान करना अति शुभ और पुण्यदायक माना जाता है। यह व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति और समृद्धि के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। मौनी अमावस्या एक ऐसा दिन है जो हमें मौन, ध्यान और दान के माध्यम से आत्मशुद्धि का संदेश देता है। मौनी अमावस्या का दिन आध्यात्मिक चिंतन और मनन के लिए भी उत्तम माना जाता है। इस दिन व्यक्ति को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और अपने जीवन के लक्ष्यों पर विचार करना चाहिए।ALSO READ: महाकुंभ 2025: 29 जनवरी मौनी अमावस्या पर कुंभ का शाही स्नान, जानिए किस विधि से करें स्नान कि मिले पुण्य
 
आओ जानते हैं इसके बारे में 5 खास बातें इस प्रकार हैं:-
1. कुंभ स्नान का महत्व: मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक जैसे पवित्र स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन भी होता है, जहाi  लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं। इस दिन गंगा, यमुना, या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ होता है। माना जाता है कि गंगा स्नान से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकुंभ या अर्धकुंभ के दौरान यह दिन विशेष महत्व रखता है।
 
2. मौन व्रत का पालन: मौनी शब्द मौन से बना है, जिसका अर्थ है चुप रहना। इस दिन मौन व्रत रखने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि मौन रहने से मन और इंद्रियों पर नियंत्रण होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यदि पूरे दिन मौन रहना संभव न हो, तो व्यक्ति को कम से कम समय के लिए मौन रहने का प्रयास करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत (चुप रहना) रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। मौन रहने से मानसिक शांति, आत्म-नियंत्रण, और ध्यान की क्षमता में वृद्धि होती है। इसे आत्मचिंतन और आत्मा से जुड़ने का दिन माना जाता है।
 
3. दान-पुण्य का महत्व: मौनी अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और अन्य वस्तुओं का दान करना चाहिए। गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन, कपड़े, अन्न, और धन का दान अत्यंत फलदायी माना गया है।
4. पितृ तर्पण का महत्व: इस अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करना सबसे उत्तम माना गया है। इससे कालसर्प दोष और पितृदोष तुरंत ही दूर हो जाता है। पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म इस दिन किए जाते हैं।
 
5. धार्मिक अनुष्ठानों का दिन: इस दिन भगवान विष्णु, शिव, और सूर्य की विशेष पूजा की जाती है। पीपल वृक्ष की पूजा और उसके नीचे दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है। वैदिक मंत्रों का जाप और ध्यान करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।ALSO READ: Kumbh mela 2025: मौनी अमावस्या कब है, क्या है इस दिन कुंभ स्नान का महत्व?
 
कभी-कभी मौनी अमावस्या पर विशेष खगोलीय संयोग भी बनते हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, यदि इस दिन मकर राशि में सूर्य और चंद्रमा का संयोग हो, तो इसे और भी शुभ माना जाता है। संक्षेप में, मौनी अमावस्या एक पवित्र त्यौहार है जो स्नान, मौन व्रत, दान-पुण्य, और आध्यात्मिक चिंतन के लिए महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें अपने अंतर्मन को शुद्ध करने और आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।