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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 22 जनवरी 2025 (14:32 IST)

महाकुंभ 2025: 29 जनवरी मौनी अमावस्या पर कुंभ का शाही स्नान, जानिए किस विधि से करें स्नान कि मिले पुण्य

महाकुंभ 2025: 29 जनवरी मौनी अमावस्या पर कुंभ का शाही स्नान, जानिए किस विधि से करें स्नान कि मिले पुण्य - mahakumbha 2025 mauni amavasya par kimbh snan kaise kare
mauni amavasya 2025: हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार जनवरी 2025 में मौनी अमावस्या 29 जनवरी, दिन बुधवार को मनाई जाएगी तथा यह दिन माघ मास के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि पर पड़ रहा है। इस दिन प्रयागराज महाकुंभ मेले में शाही स्नान होगा। माघ माह, मौनी अमावस्या और शाही स्नान का महत्वपूर्ण संयोग कुंभ मेले में पुण्य लाभ का महत्वपूर्ण दिन माना जा रहा है। इस दिन करोड़ों लोग गंगा संगम तट पर डुबकी लगाएंगे।ALSO READ: Kumbh mela 2025: मौनी अमावस्या कब है, क्या है इस दिन कुंभ स्नान का महत्व?
 
मौनी अमावस्या पर कुंभ स्नान का महत्व: धार्मिक मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या पर जो पितृ पूजन-तर्पण तथा दानादि कार्य करता है उसे जीवन में कभी भी कष्ट नहीं झेलने पड़ते और पूर्वजों के आशीर्वाद से उसका घर निरंतर फलता-फूलता है तथा उसका परिवार हमेशा प्रसन्न रहता है। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। मौनी अमावस्या के अवसर पर कुंभ स्नान तथा पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन कुंभ स्नान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और यदि पूरे दिन मौन रखा जाए तो मानसिक समस्या दूर होकर अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार इस दिन प्रयागराज महाकुंभ में तीसरा शाही स्नान संपन्न होगा तथा मौनी अमावस्या के साथ ही बना महाकुंभ का यह अद्भुत संयोग बहुत फलदायी माना जाता है।
 
कुंभ स्नान की विधी:
उषा की लाली से पहले ही स्नान करना उत्तम माना गया है। इससे प्रजापत्य का फल प्राप्त होता है। नदी से दूर तट पर ही देह पर हाथ मलमलकर नहा ले, तब नदी में गोता लगाए। शास्त्रों में इसे मलापकर्षण स्नान कहा गया है। यह अमंत्रक होता है। यह स्नान स्वास्थ और शुचिता दोनों के लिए आवश्यक है। देह में मल रह जाने से शुचिता में कमी आ जाती है और रोम छिद्रों के न खुलने से स्वास्थ में भी अवरोध होता है। इसलिए मोटे कपड़े से प्रत्येक अंग को रगड़-रगड़ कर स्नान करना चाहिए।ALSO READ: कौन हैं महाकुंभ में आए 7 फुट के मस्कुलर बाबा, इंस्टाग्राम पर मचा रखी है धूम, जानें रूस से भारत तक की उनकी अद्भुत कहानी
 
निवीत होकर बेसन आदी से यज्ञोपवीत भी स्वच्छ कर लें। इसके बाद शिखा बांधकर दोनों हाथों में पवित्री पहनकर आचमन आदी से शुद्ध होकर दाहिने हाथ में जल लेकर शास्त्रानुसार संकल्प करें। संकल्प के पश्चात मंत्र पड़कर शरीर पर मिट्टी लगाएं। इसके पश्चात गंगाजी की उन उक्तियों को बोलें। इसके पश्चात नाभी पर्यंत जल मे जाकर, जल की ऊपरी सतह हटाकर, कान औए नाक बंद कर प्रवाह की और या सूर्य की और मुख करके स्नान करें। तीन, पांच, सात या बारह डुबकियां लगाए। डुबकी लगाने से पहले शिखा खोल लें।ALSO READ: खूबसूरत आंखों वाली मोनालिसा का सोशल अकाउंट बना, खतरे के चलते छोड़ना पड़ रहा महाकुंभ, सलमान खान से की बात
 
गृहस्थों के लिए गंगा स्नान के महत्वपूर्ण नियम
साधु-संतों को दें प्राथमिकता: महाकुंभ में साधु-संतों का विशेष स्थान होता है। शाही स्नान के दौरान विशेषकर साधु-संतों को पहले स्नान करने का अवसर दिया जाता है। गृहस्थों को साधु-संतों के स्नान के बाद ही स्नान करना चाहिए। ऐसा न करने पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पाप लग सकता है।
 
पांच बार डुबकी: गंगा स्नान के दौरान कम से कम पांच बार डुबकी लगाना शुभ माना जाता है। यह संख्या धार्मिक महत्व रखती है और माना जाता है कि इससे पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) का शुद्धीकरण होता है।
 
मन में पवित्र भाव: गंगा स्नान करते समय मन को पवित्र भावों से भर देना चाहिए। किसी भी प्रकार का बुरा विचार मन में नहीं लाना चाहिए।
 
शांत वातावरण: स्नान के दौरान शांत वातावरण बनाए रखना चाहिए। शोर-शराबा करने से पवित्रता भंग होती है।
 
साफ-सफाई: स्नान करने से पहले शरीर को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
 
दान: स्नान के बाद जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। यह पुण्य का काम माना जाता है।