गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. प्राणायाम
  4. प्राणायाम का रहस्य
Written By अनिरुद्ध जोशी

प्राणायाम का रहस्य

Pranayama Secrets in Hindi | प्राणायाम का रहस्य
FILE
कछुए की श्वास लेने और छोड़ने की गति इनसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं।

प्राचीन ऋषि वायु के इस रहस्य को समझते थे तभी तो वे कुंभक लगाकर हिमालय की गुफा में वर्षों तक बैठे रहते थे। श्वास को लेने और छोड़ने के दरमियान घंटों का समय प्राणायाम के अभ्यास से ही संभव हो पाता है। यही प्राणायाम का रहस्य है ( Pranayama Secrets in Hindi )

शरीर में दूषित वायु के होने की स्थिति में भी उम्र क्षीण होती है और रोगों की उत्पत्ति होती है। पेट में पड़ा भोजन दूषित हो जाता है, जल भी दूषित हो जाता है तो फिर वायु क्यों नहीं। यदि आप लगातार दूषित वायु ही ग्रहण कर रहे हैं तो समझो कि समय से पहले ही रोग और मौत के निकट जा रहे हैं।

बाल्यावस्था से ही व्यक्ति असावधानीपूर्ण और अराजक श्वास लेने और छोड़ने की आदत के कारण ही अनेक मनोभावों से ग्रसित हो जाता है। जब श्वास चंचल और अराजक होगी तो चित्त के भी अराजक होने से आयु का भी क्षय शीघ्रता से होता रहता है।

फिर व्यक्ति जैसे-जैसे बड़ा होता है काम, क्रोध, मद, लोभ, व्यसन, चिंता, व्यग्रता, नकारात्मता और भावुकता के रोग से ग्रस्त होता जाता है। उक्त रोग व्यक्ति की श्वास को पूरी तरह तोड़कर शरीर स्थित वायु को दूषित करते जाते हैं जिसके कारण शरीर का शीघ्रता से क्षय होने लगता है।

हठयोगियों ने विचार किया कि यदि सावधानी से धीरे-धीरे श्वास लेने व छोड़ने और बाद में रोकने का भी अभ्यास बनाया जाए तो परिणामस्वरूप चित्त में स्थिरता आएगी। श्वसन-क्रिया जितनी गहरी, लंबी, मंद और सूक्ष्म होगी उतना ही लंबा और मंद जीवन क्रिया के क्षय होने का क्रम होगा।

इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन नाड़ियां प्रमुख हैं। प्राणायम के लगातार अभ्यास से ये नाड़ियां ‍शुद्ध होकर जब सक्रिय होती हैं तो व्यक्ति के शरीर में किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता और आयु प्रबल हो जाती है। मन में किसी भी प्रकार की चंचलता नहीं रहने से स्थिर मन शक्तिशाली होकर धारणा सिद्ध हो जाती है अर्थात ऐसे व्यक्ति की सोच फलित हो जाती है। यदि लगातार इसका अभ्यास बढ़ता रहा तो व्यक्ति सिद्ध हो जाता है।
-अनिरुद्ध
ये भी पढ़ें
प्राणायाम के प्रकार