• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. प्रोफाइल
  3. राजनीति
  4. Sarbananda Sonowal, Profile, Assam, Chief Minister
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 17 जून 2016 (16:44 IST)

सर्बानंद सोनोवाल : प्रोफाइल

सर्बानंद सोनोवाल : प्रोफाइल - Sarbananda Sonowal, Profile, Assam, Chief Minister
पूर्वोत्तर राज्य असम में सर्बानंद सोनोवाल की अगुवाई में पहली भाजपा सरकार ने मंगलवार को शपथ ली। सोनोवाल के नेतृत्व में ही भाजपा नीत गठबंधन ने 15 वर्षों से असम में सत्तारुढ़ तरुण गोगोई सरकार को बेदखल करते हुए भगवा पार्टी का परचम फहराया। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन खेल एवं युवा मामलों के मंत्री एवं असम के लखीमपुर से सांसद सोनोवाल के युवा कंधों पर भाजपा के लिए पूर्वोत्तर के द्वार खोलने की जिम्मेदारी सौंपी थी और इस युवा नेता ने उनका भरोसा कायम रखा। 
 
असम के डिब्रूगढ़ जिले में जन्मे 54 वर्षीय सोनोवाल छात्र राजनीति से आगे बढ़ते हुए केंद्र की सरकार में खेल और युवा मामलों के मंत्री बने और अब वे राज्य के मुख्यमंत्री का दायित्व निभाएंगे। एक साधारण छात्र नेता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर के पीछे लंबी कहानी है। हमेशा मुस्कराते रहने वाले सोनोवाल की छवि हमेशा ईमानदार नेता की रही है। 
 
सोनोवाल वर्ष 1992 से 1999 तक ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के अध्यक्ष रहे। असम की राजनीति में इस छात्र संगठन का खासा प्रभाव देखने को मिलता है और संगठन ने छह वर्ष तक असम आंदोलन की अगुवाई की।
 
असम में भाजपा की राजनीति के केंद्र में आने तक उनकी पहचान राज्य के युवा, जुझारू और तेजतर्रार नेता के रूप में बन चुकी थी। आठ फरवरी, 2011 को तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरुण गांधी, विजय गोयल, विजॉय चक्रवर्ती और रंजीत दत्ता की मौजूदगी में वे पार्टी में शामिल हुए।
 
उन्हें तत्काल भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया और बाद में राज्य भाजपा का प्रवक्ता नियुक्त किया गया। वर्ष 2012 में उन्हें राज्य भाजपा का अध्यक्ष भी बनाया गया। इस वर्ष 28 जनवरी को पार्टी ने उन्हें असम में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया और वे पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे।
 
सोनोवाल सबसे पहले वर्ष 2001 में सूबे के मोरन विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे, लेकिन वर्ष 2004 में हुए 14वीं लोकसभा चुनाव में वे डिब्रूगढ़ से सांसद चुने गए। वर्ष 2014 में हुए 16वीं लोकसभा के चुनाव में सोनोवाल ने लखीमपुर सीट पर जीत दर्ज की और केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार में उन्हें स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया। 
 
साल 1992 से राजनीति में सक्रिय सोनोवाल ने हमेशा राज्य में ही रहकर राजनीति की। सभी दलों के नेताओं से उनके निजी परिचय हैं, जो सरकार चलाने में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही उनके राजनीतिक अनुभव का लाभ पार्टी को मिल सकता है।
 
असम के नए नवेले मुख्यमंत्री बने सर्बानंद सोनोवाल पहली बार तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अवैध प्रवासियों के मुद्दे को लेकर एक याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 22 साल पुराने विवादास्पद अवैध प्रवासी पहचान ट्रिब्यूनल (आईएमडीटी) कानून  को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया था। 
 
सर्बानंद की गिनती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेहद करीबी लोगों में होती है। 55 वर्षीय अविवाहित सोनोवाल पुरानी फिल्में देखना काफी पसंद है। असम की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो सत्ता संभालने के बाद असम में अवैध रूप से बंगलादेश का घुसपैठ मुद्दा को हल करना उनकी प्राथमिकता होगी। 
 
केंद्र सरकार में खेलमंत्री रहे सोनोवाल फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं और उनका फुटबॉल से लगाव पूर्वोत्तर में सर्वज्ञात है। सोनोवाल ने ही असम में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की अगुवाई की है। इन हालात में उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी पूरा समर्थन मिला है।
 
सोनोवाल को डिब्रूगढ़ और जोरहाट संसदीय क्षेत्रों में जीत दिलाकर ऊपरी असम में पार्टी के लिए रास्ता बनाने का श्रेय भी दिया जाता है। यह क्षेत्र एक समय में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। गुवाहाटी और शिलांग में दक्षिण एशियाई खेलों (सैग) की मेजबानी को सुनिश्चित करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
 
31 अक्‍टूबर, 1962 को असम के डिब्रूगढ़ जिले में जीवेश्वर सोनोवाल और दिनेश्वरी सोनोवाल के घर जन्मे सर्वानंद सोनोवाल ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से स्नातक किया और उसके बाद कानून की पढ़ाई के लिए गुवाहाटी विश्वविद्यालय गए। यहीं से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भी की।
 
पार्टी ने उन्हें इस विधानसभा चुनाव में माजुली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा था, जहां उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के राजीव लोचन पेगू को पराजित किया।