अक्षय तृतीया व्रत कैसे करें... !
अक्षय तृतीया पर मिलता है अक्षय फल
वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। चूंकि इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहते हैं। यदि यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में आए तो महा फलदायक माना जाता है।यदि तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। यह व्रत दान प्रधान है। इस दिन अधिकाधिक दान देने का बड़ा माहात्म्य है। इसी दिन से सतयुग का आरंभ होता है इसलिए इसे युगादि तृतीया भी कहते हैं।आगे पढ़ें तृतीया व्रत कैसे करें !
तृतीया व्रत कैसे करें !
* व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।* घर की सफाई व नित्य कर्म से निवृत्त होकर पवित्र या शुद्ध जल से स्नान करें।* घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।निम्न मंत्र से संकल्प करें :-