हरतालिका तीज व्रत का नाम कैसे पड़ा, जानिए पार्वती माता का रहस्य
Hartalika Teej Vrat 2025: हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव व माता पार्वती की रेत के द्वारा बनाई गई अस्थाई मूर्तियों का पूजन करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन तथा संतान की प्राप्ति के लिए इस दौरान प्रार्थना करती हैं। अब सवाल उठता है कि हरतालिका तीज का नाम हरतालिाक तीज क्यों पड़ा? क्या है इसके पीछे की कथा का रहस्य?
हरतालिका तीज का अर्थ: हरतालिका शब्द, हरत व आलिका से मिलकर बना है, जिसका अर्थ क्रमशः हरण व स्त्रीमित्र होता है। हरण अर्थात किसी का अपहरण करना। कुछ लोग इस शब्द का अर्थ हड़ताल से जोड़कर भी देखते हैं।
हरतालिका की कथा में छुपा शब्द का अर्थ: हरतालिका तीज की कथा के अनुसार, पार्वतीजी की सहेलियां उनका अपहरण कर उन्हें घने जंगल में ले गई थीं। ताकि पार्वतीजी की इच्छा के विरुद्ध उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न कर दें। माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव को पाने के लिए व्रत कर रही थीं। 17 वर्षों तक व्रत रखने के बाद कहते हैं कि उन्होंने 64 वर्षो तक जंगल में घोर तप किया था।
हरतालिका पूजा के लिए सुबह का समय उचित माना गया है। यदि किसी कारणवश प्रातःकाल पूजा कर पाना संभव नहीं है है तो प्रदोषकाल में शिव-पार्वती की पूजा की जा सकती है। इस दिन महिलाएं शिव-पार्वती की मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा-अर्चना करती हैं। पूजा के बाद हरतालिका व्रत कथा को सुना जाता है।