पिठोरी अमावस्या पर कर लें कालसर्प दोष दूर करने के 4 अचूक उपाय
kaal sarp dosh ke 5 upay pithori amavasya : भाद्रपद मास कही अमावस्या को कुशोत्पटिनी अमावस्या और पिठोरी अमावस्या कहते हैं। इसी दिन महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पोला पर्व मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से धार्मिक कार्यों और श्राद्ध के लिए पवित्र कुशा घास, जिसे डाब भी कहते हैं को इकट्ठा करने के लिए समर्पित है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के अलावा काल सर्पदोष से मुक्ति के उपाय भी कर सकते हैं।
1. इस दिन सफेद फूल, बताशे, कच्चा दूध, सफेद कपड़ा, चावल व सफेद मिठाई बहते हुए जल में प्रवाहित करें और कालसर्प दोष की शांति के लिए शेषनाग से प्रार्थना करें। फिर गरीबों या किसी जरूरतमंद को यथाशक्ति दान करें।
2. इस दिन विधिवत रूप से घर में कालसर्प यंत्र की स्थापना करें। इसके लिए शिवजी का पूजन करने के बाद यंत्र का पूजन करें। कच्चा दूध यंत्र पर अर्पित करें और इसके बाद में गंगाजल से स्नान करवाएं। फिर पंचोपचार पूजा करने के बाद नीचे लिखे मंत्र का रुद्राक्ष की एक माला से जाप करें।
3. संध्याकाल के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीप जलाकर उसकी पूजा के बाद 7 परिक्रमा करें। इसके बाद नवनाग स्तोत्र, लघु रुद्र का पाठ स्वयं करें या किसी योग्य पंडित से करवाएं। ये पाठ विधि-विधान पूर्वक होना चाहिए। या फिर, स्नान के बाद शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर तांबे का नाग चढ़ाएं। इसके बाद वहां बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
4. नदी के तट पर किसी योग्य पंडित से पिंडादान या तर्पण की क्रिया कराएं और उन्हें दान दक्षिणा दें। इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। इससे पितृदोष और कालसर्प दोष का निवारण होगा। जीवन में आ रही बाधा दूर होगी।