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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 6 नवंबर 2025 (12:29 IST)

2026 की सबसे बड़ी भविष्यवाणी, भारत में हो सकती है ये बड़ी 7 घटनाएं, रहना होगा संभलकर

वर्ष 2026 का भविष्यफल
Year 2026 predictions: अधिकतर ज्योतिषियों को मानना है कि ग्रह नक्षत्रों के अनुसार वर्ष 2025 से ज्यादा खतरनाक सिद्ध होने वाला है अगला वर्ष 2026, क्योंकि इस दौरान बृहस्पति और मंगल की चाल बदलेगी। हालांकि शनि फिलहाल वक्री हैं। इसी के साथ ही यदि हम हिंदू संवत्सर की बात करें तो फिलहाल सिद्धार्थ संवत्सर चल रहा है इसके बाद 19 मार्च 2026 से रौद्र नामक संवत्सर प्रारंभ होगा। आओ जानते हैं कि ग्रह नक्षत्रों के आधार पर कैसा रहेगा वर्ष 2026 और क्या हो सकती है बड़ी घटनाएं।
 
1. भारत की राजनीति में बड़े बदलाव की संभावना है।
2. भारत में आतंकवादी हमला होने की संभावना प्रबल है।
3. पंजाब, बंगाल, कश्मीर, ओड़िसा और पूर्वोत्तर राज्य में समस्या उत्प‍न्न हो सकती है।
4. भारत में बड़ा आंदोलन हो सकता है जो भारत की राजनीति को अस्थिर करेगा।
5. किसी घटना-दुर्घटना में एक साथ सैंकड़ों लोगों की मौत की संभावना है।
6. भारत की सीमाओं पर तनाव बढ़ जाएगा।
7. भारत में प्रदूषण अपने चरम पर होगा, मौसम और हवाओं से लोग परेशान रहेंगे। प्राकृतिक आपदाएं बढ़ जाएगी।
 
ग्रह गोचर: वर्ष 2026 में बृहस्पति 2 जून तक मिथुन राशि में रहेंगे, फिर 2 जून से 31 अक्टूबर तक कर्क राशि में रहेंगे। कुंभ से निकलकर 5 दिसंबर को राहु मकर में गोचर करेगा। सिंह से निकलकर केतु कर्क में गोचर करेगा। 16 जनवरी 2026 को धनु से निकलकर मंगल मकर में गोचर करेगा। इसके बाद वह कुंभ, मीन, मेष, मिथुन, कर्क और सिंह में गोचर करेंगे।
 
ग्रह गोचर का परिणाम: गुरु की मिथुन राशि में स्थिति के दौरान, मीडिया में भ्रम, झूठी सूचनाओं का प्रसार और कूटनीतिक तनाव बढ़ सकते हैं। दो देशों के बीच तनाव चरम पर रहेगा। कर्क राशि में गुरु के उच्च अवस्था में आने पर, राष्ट्रीयता की भावना, सांस्कृतिक पहचान और नए वैश्विक गठबंधन उभर सकते हैं। गुरु की कर्क राशि में उच्च अवस्था के दौरान, जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान और जल संबंधित प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ सकती हैं। जब गुरु कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, तो यह उच्च अवस्था में होंगे, जिससे कुछ समय के लिए आर्थिक स्थिरता, सरकारी कल्याण योजनाओं, कृषि और रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। 2 जून 2026 मंगलवार को मध्यरात्रि 02:25 पर जब बृहस्पति कर्क राशि में गोचर करेंगे तो फिर से भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर रह सकता है। हालांकि भारत पर इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। 31 अक्टूबर 2026 में गुरु सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे प्रभावशाली नेताओं का उदय और वैश्विक राजनीति में बदलाव की संभावना है। भारत की भूमि, नभ और जल में शक्ति बढ़ेगी लेकिन उसके शत्रु भी साजिश रचना में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
 
मंगल: 16 जनवरी 2026 को धनु से निकलकर मंगल मकर में गोचर करेगा। इसके बाद वह कुंभ, मीन, मेष, मिथुन, कर्क और सिंह में गोचर करेंगे। इस गोचर के चलते भारत के खिलाफ कोई भी शक्ति सफल नहीं हो पाएगी। वर्ष 2026 में भारत एक बड़े युद्ध में जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो 28 दिसंबर 2027 तक यह युद्ध चल सकता है। वर्ष 2026 में एक ओर जहां सीमाओं पर संघर्ष बढ़ेगा वहीं प्रकृतिक आपदा, भूकंप और खद्यान संकट से दुनिया परेशान रहेगी।
 
12 जुलाई से 15 अगस्त के बीच का समय भयंकर रहने वाला है जबकि गुरु, चंद्र और सूर्य यानी यह तीनों ग्रह कर्क राशि में होंगे। यानी 15 से 12 अगस्त के बीच यह इसी राशि में रहेंगे। इस युति के बाद भारत के लिहाज से स्थितियों में सुधार होगा लेकिन विनाश के बाद। गुरु, चंद्र और सुर्य तीनों ग्रहों का पुष्य नक्षत्र में जा रहे हैं जोकि शनि का नक्षत्र है। यह शनि का नक्षत्र है। शनि और पुष्य दोनों ही न्याय के ग्रह नक्षत्र हैं जो तीनों ग्रहों के साथ जुडकर अलग-अलग कहानी लिखने का काम करेंगे। सूर्य के साथ आग और चंद्र के साथ जल प्रलय की उत्पत्ति करेंगे। यह विध्वंस के बाद सृजन की नींव भी रखेंगे। यह मीन राशि का शनि जुलाई और अगस्त 2026 के माह में अपनी पूर्ण विनाश लिया का सृजन करेगा। ऐसा ग्रह योग संकेत देते हैं। 
 
अधिकतर ज्योतिषियों का मानना है कि वर्ष 2020 से देश और दुनिया का भविष्‍य बदलने लगा है जब शनि ने मकर में प्रवेश किया था। मकर से लेकर मेष तक यानि 2029 तक शनि की यह गति देश और दुनिया का भूगोल ही नहीं भविष्‍य और मौसम भी बदल कर रख देगी। यानि विश्‍व के बदलने की शुरुआत 2020 से हो चुकी है 2025 इसका टर्निंग पाइंट है और अब 2026 में होगा महायुद्ध। हालांकि कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि शनि के मेष में जाने पर आएगा विश्व में महासंकट। शनि वर्ष 2028 में मेष में प्रवेश करेगा।
 
रौद्र संवत्सर का परिणाम: वर्तमान में विक्रम संवत 2082 के अंतर्गत कालयुक्त सिद्धार्थ संवत्सर चल रहा है। इस संवत्सर के फलानुसार भारत में और दुनिया में युद्ध और आतंकवाद की घटनाओं के दर्शन होंगे, जो एक बड़े युद्ध की भूमिका तय करेंगे। महंगाई बढ़ेगी। वर्षा खंडित होगी। कई जगह अकाल और कई जगह बाढ़ के हालात देखने को मिलेंगे। वैश्‍विक स्तर पर दोस्त और दुश्मन तय हो जाएंगे। सिद्धार्थ संवत्सर के बाद विक्रम संवत 2083 जब प्रारंभ होगा तब शुरू होगा रौद्र नाम संवत्सर प्रारंभ होगा। 19 मार्च 2026 से रौद्र नाम संवत्सर प्रारंभ होगा। यानी विक्रम संवत 2083 से प्रारंभ होगा रौद्र संवत्सर। यह देश और दुनिया में नरसंहार लेकर आएगा। मध्य एशिया में नरसंहार जारी है और अब यह दक्षिण एशिया में भी देखा जाएगा। इस दौरान मौसम में भारी बदलाव होगा और किसी बड़े भूकंप के आने या ज्वालामुखी फटने के संकेत भी मिलते हैं।
 
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