होली से पहले बृज में मनाई जाती है फुलेरा दूज, जानिए राधा कृष्ण के प्रेम से क्या है सम्बन्ध
Phulera dooj in mathura barsana: होली यूं तो पूरे भारत में मनाई जाति है लेकिन श्रीकृष्ण की भूमि बृज में इसका विशेष आकर्षण है। होली से पहले बृज में मनाई जाती है फुलेरा दूज। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाया जाता है। यह त्योहार राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है और बृज में इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को बेहद शुभ मना जाता है और इसीलिए इस दिन बहुत सी शादियां होती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी शादी के बंधन में बंध जाता है उस पर राधा-कृष्ण की विशेष कृपा रहती है। आइये आज आपको वेबदुनिया हिंदी पर इस त्यौहार के बारे में विस्तार से बताते हैं।
फुलेरा दूज की कथा
एक बार भगवान कृष्ण बहुत दिनों तक राधा जी से मिलने नहीं गए। इस कारण राधा जी का उदास होना स्वाभाविक था। उनके दुख के प्रभाव से वृंदावन के सारे फूल मुरझा गए। जब कृष्ण भगवान को राधा की दशा के बारे में का पता चला तो भगवान कृष्ण जी वृंदावन के लिए निकल पड़े। जैसे ही कान्हा के आने की खबर मिली तो राधा जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उनके चेहरे की खोई चमक लौट आई। इसी के साथ वृंदावन के सारे फूल खिलने लगे, पक्षी भी चहचाने लगे, पेड़-पौधे भी फिर से हरे भरे हो गए। सभी गोपियां भी खुश हो गईं। जब भगवान कृष्ण ने राधा जी मुलाकात तो कान्हा ने पास से फूल तोड़ा और राधा जी पर फेंका।
यह देखकर राधा जी भी कान्हा पर फूल बरसाने लगीं। इसके बाद ये खेल सभी ग्वाल और गोपियां के बीच भी शुरू हो गया। मान्यता है उस दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। इसलिए ही इस तिथि पर फुलेरा दूज का त्योहार मनाया जाने लगा। हर साल मथुरा वृंदावन में इसी दिन फूलों की होली खेली जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण फूलों से होली खेलते हैं। इसलिए इसे फूलों की होली भी कहा जाता है। यह त्योहार राधा-कृष्ण के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
कैसे मनाया जाता है फुलेरा दूज?
• राधा-कृष्ण की पूजा: इस दिन राधा-कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। उन्हें फूलों से सजाया जाता है और उन्हें अबीर-गुलाल अर्पित किया जाता है।
• फूलों की होली: मंदिरों में फूलों की होली खेली जाती है। भक्त एक-दूसरे पर फूल फेंकते हैं और राधा-कृष्ण के भजन गाते हैं।
• सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस दिन बृज में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनमें नृत्य, संगीत और नाटक शामिल होते हैं।
• लड्डू होली: बरसाना में लड्डू होली का भी आयोजन होता है।
बरसाना, राधा रानी का जन्मस्थान है, इसलिए यहां फुलेरा दूज का विशेष महत्व है। यहां इस दिन राधा-कृष्ण के मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और भक्त फूलों की होली खेलते हैं।