शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. होली
  4. Know the correct method of burying, decorating and burning the Holi stick
Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025 (18:23 IST)

Holi 2025: होली का डांडा गाड़ने, सजाने और जलाने की सही विधि जानिए

Holi 2025: होली का डांडा गाड़ने, सजाने और जलाने की सही विधि जानिए - Know the correct method of burying, decorating and burning the Holi stick
Holika Dahan 2025:फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है। इस बार 13 मार्च 2025 को होलिका दहन होगा। घरों के बाहर चौराहे पर होला अष्टक पर होलिका दहन के पहले होली का डांडा गाड़ा जाता है। इस डांडा के आसपास सजावट की जाती है और फिर होलिका वाले दिन इस डांडा को निकालकर बाकी लड़की और उपले को जला दिया जाता है। कई लोग डांडा सहित ही होलिका दहन कर देते हैं। आओ जानते हैं डांडा गाड़ने, साजाने और जलाने की सरल विधि।ALSO READ: वर्ष 2025 में होली कब है?  
 
कैसे गाड़ते है होलिका डांडा?
होली का डांडा एक प्रकार का पौधा होता है, जिसे सेम का पौधा कहते हैं। कहीं से भी 2 पौधे लाए जाते हैं जिनकी ऊंचाई करीब 4 से 6 फीट हो सकती है। इन्हें लाकर चौराहे पर एक छोटा सा गड्डा खोदकर गाड़ा जाता है। इससे पहले उन दोनों डांडा को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है। फिर दोनों की पूजा की जाती है। होलाष्टक की शुरुआत में 2 डांडा रोपणकर इस उत्सव की शुरुआत की जाती हैं। एक डांडा होलिका का प्रतीक है जो प्रहलाद की बुआ थी और दूसरा डांडा प्रहलाद का प्रतीक है।
 
होलिका को कैसे सजाते हैं?
होली के डांडा के आसपास पहले उपले यानी गाय के गोबर के कंडे जमाए जाते हैं। इसके बाद उनके आसपास चारों ओर लकड़ियां जामाते हैं। लकड़ियां जमाने के बाद उनके आसपास भरभोलिए जमाए जाते हैं। भरभोलिए गाय के गोबर से बने ऐसे उपले होते हैं जिनके बीच में छेद होता है। इस छेद में मूंज की रस्सी डाल कर माला बनाई जाती है। एक माला में सात भरभोलिए होते हैं। डांडों के इर्द-गिर्द गोबर के उपले, लकड़ियां, घास और जलाने वाली अन्य चीजें इकट्ठा की जाती है और इन्हें धीरे-धीरे ऊंचा और बड़ा किया जाता है। अंत में इसके आसपास रंगोली बनाते हैं। फिर रोशनी करते हैं और होली के गाने बजाए जाते हैं। अष्टमी से पूर्णिमा तक डांडा गड़ा रहता है तब तक पूजा पाठ होते रहते हैं। ALSO READ: मध्यप्रदेश में 7 मार्च से लगेंगे भगोरिया हाट, होली से पहले हजारों आदिवासी उल्लास में डूबेंगे
होलिका दहन कैसे करते हैं?
फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के पहले होली के डांडा को निकाल लिया जाता है। उसकी जगह लकड़ी का डांडा लगाया जाता है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय 4 मालाएं अलग से रख ली जाती हैं। इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी श्री हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता और चौथी घर परिवार के नाम की रखी जाती है। इसके पश्चात पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए सूत के धागे को लपेटा जाता है। होलिका की परिक्रमा 3 या 7 बार की जाती है।इसके बाद शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित किया जाता है। फिर अग्नि प्रज्वलित करने से पूर्व जल से अर्घ्य दिया जाता है। होलिका दहन के समय मौजूद सभी पुरुषों को रोली का तिलक लगाया जाता है। अगले दिन सुबह थोड़ा जल छिड़करकर होली को ठंडा भी किया जाता है। कहते हैं, होलिका दहन के बाद जली हुई राख को अगले दिन प्रात:काल घर में लाना शुभ रहता है। अनेक स्थानों पर होलिका की भस्म का शरीर पर लेप भी किया जाता है।
 
पूजन सामग्री सूची:-
प्रहलाद की प्रतिमा, गोबर से बनी होलिका, 5 या 7 प्रकार के अनाज (जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां या सप्तधान्य- गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर), 1 माला, और 4 मालाएं (अलग से), रोली, फूल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, मीठे पकवान, मिठाइयां, फल, गोबर की ढाल, बड़ी-फुलौरी, एक कलश जल आदि।
 
होलिका दहन पूजन विधि:-
  • सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें। 
  • अब अपने आस-पास पानी की बूंदें छिड़कें। 
  • गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। 
  • थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी रखें। 
  • नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें। 
  • अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं। 
  • अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान श्री गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें। 
  • इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।  
  • भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं।  
  • अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं। 
  • कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें। 
  • आखिर में गुलाल डालकर चांदी या तांबे के कलश से जल चढ़ाएं।
  • होलिका दहन के समय मौजूद सभी को रोली का तिलक लगाएं और शुभकामनाएं दें।