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Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, देवी कालरात्रि की पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, भोग एवं आरती

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, देवी कालरात्रि की पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, भोग एवं आरती - Navratri 2023 7th Day Maa Kalratri puja mantra aarti
इन दिनों चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है और नवरात्रि की सप्तमी तिथि को माता का कालरात्रि का पूजन (Maa Kalratri Puja 2023) किया जाता है। ऐसे लोग जो किसी कृत्या प्रहार से पीड़ित हो एवं उन पर किसी अन्य तंत्र-मंत्र का प्रयोग हुआ हो, वे कालरात्रि माता की साधना कर समस्त कृत्याओं तथा शत्रुओं से निवृत्ति पा सकते हैं। 
 
दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि को महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है। यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक, सर्वत्र विजय दिलाने वाली, मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है। इस कालरात्रि की आराधना प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए। इस दिन देवी को गुड़ का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में खाना सेहत के लिए भी फायदेमंद है।
 
मां कालरात्रि की पूजन विधि-Maa Kalratri Puja vidhi
 
- नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि के पूजन के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। 
 
- अब रोली, अक्षत, दीप, धूप अर्पित करें। 
 
- मां कालरात्रि को रातरानी का फूल चढाएं।
 
- गुड़ का भोग अर्पित करें। 
 
- मां की आरती करें। 
 
- इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा तथा मंत्र जपें। 
 
- इस दिन लाल कंबल के आसन तथा लाला चंदन की माला से मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें। 
 
- अगर लाला चंदन की माला उपलब्ध न हो तो रूद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं। 
 
kalratri mantra
 
- 'ॐ कालरात्र्यै नम:।'
 
- उपासना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
 
- ॐ यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि।।
संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमाऽऽपदः ॐ।
 
घृत, गुग्गल, जायफलादि की आहुति दें।
 
- 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।'
 
कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही हो, शत्रु तथा विरोधी कार्य में अड़ंगे डाल रहे हों, उन्हें निम्न मंत्र का जप कर अपने को बाधाओं से मुक्ति दिलाएं।
 
- ॐ ऐं यश्चमर्त्य: स्तवैरेभि: त्वां स्तोष्यत्यमलानने
तस्य वि‍त्तीर्द्धविभवै: धनदारादि समप्दाम् ऐं ॐ।
 
पंचमेवा, खीर, पुष्प, फल आदि की आहुति दें।

जितने भी मंत्र दिए गए हैं, वे सभी शास्त्रीय तथा कई श्री दुर्गासप्तशती से उद्घृत हैं।
 
- 'ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।'
 
स्वप्न दर्शन के फल शास्त्रों में कई बतलाए गए हैं। यदि कुफल वाला कोई स्वप्न देखें जिसका फल खराब हो, उसे अच्‍छा बनाने के लिए स्वप्न देखने के बाद प्रात: एक माला जपने से बुरा फल नष्ट होकर अच्‍छा फल मिलता है।
 
- ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
 
होम द्रव्य, सरसों, कालीमिर्च, दालचीनी इत्यादि।
 
जप का दशांश हवन, का दशांश तर्पण, का दशांश मार्जन, का दशांश ब्राह्मण भोजन तथा कन्या पूजन तथा भोजन कराने से मंत्र सिद्धि होती है।
 
Maa Kalratri Aarti आरती : कालरात्रि जय जय महाकाली
 
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय।
 
भोग- नवरात्रि में देवी मां के सतवें स्वरूप कालरात्रि माता को गुड़ का भोग प्रिय है। सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।