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  4. 5 special things about Garba dance during Sharadiya Navratri
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (14:56 IST)

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के गरबा नृत्य की 5 खास बातें, डांस करते हो तो जान लें

शारदीय नवरात्रि 2025
Garba dance AI

Shardiya navratri 2025: गरबा नृत्य सिर्फ एक लोकनृत्य नहीं, बल्कि शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आराधना का एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक तरीका है। यह नौ रातों का एक ऐसा उत्सव है, जो धर्म, संस्कृति, भक्ति, ऊर्जा और परंपरा को एक साथ जोड़ता है। इस वृत्ताकार नृत्य में न केवल मां दुर्गा की शक्ति का सम्मान होता है, बल्कि यह जीवन के शाश्वत चक्र को भी दर्शाता है। गरबा, जिसे ‘गर्भ दीप’ के चारों ओर किया जाता है, देवी की जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक है और हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह नृत्य खासकर गुजरात में अधिक होता है परंतु आजकल बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य्रदेश में भी इसकी धूम है।
 
1. 'गर्भ दीप' का प्रतीक: गरबा शब्द संस्कृत के शब्द 'गर्भ' से आया है, जिसका अर्थ है 'गर्भाशय' या 'जीवन का स्रोत'। नृत्य के दौरान, एक मिट्टी के घड़े (जिसे 'गरबो' कहते हैं) के अंदर एक दीपक जलाया जाता है। यह दीपक, जिसे 'गर्भ दीप' कहते हैं, देवी दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है। महिलाएं इस घड़े के चारों ओर गोल घेरे में नृत्य करती हैं, जो ब्रह्मांड और जीवन के चक्र को दर्शाता है।
 
2. वृत्ताकार नृत्य: गरबा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इसका वृत्ताकार रूप है। भक्त गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं। यह जीवन के निरंतर चक्र, जन्म से मृत्यु और फिर पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है। इस घेरे में कोई भी व्यक्ति आगे या पीछे नहीं होता, सब एक समान होते हैं, जो यह दर्शाता है कि देवी की नजर में सभी भक्त बराबर हैं।
 
3. भक्ति और नारीत्व का उत्सव: गरबा सिर्फ एक नृत्य नहीं, बल्कि मां दुर्गा की भक्ति और नारीत्व का उत्सव है। यह नृत्य देवी की शक्ति, प्रजनन क्षमता और नारी की असीम ऊर्जा का सम्मान करता है। महिलाएं पारंपरिक पोशाकें पहनकर, जैसे चनिया चोली, इस नृत्य में भाग लेती हैं, जो उनकी सुंदरता और शक्ति को दर्शाता है।
 
4. डांडिया से अंतर: गरबा डांस और डांडिया डांस को अक्सर एक ही मान लिया जाता है, लेकिन दोनों में कुछ अंतर हैं। गरबा आमतौर पर धीमी गति का भक्तिपूर्ण नृत्य है, जिसमें ताली बजाकर ताल मिलाई जाती है। जबकि डांडिया में डंडियों या डंडे का उपयोग किया जाता है और यह अधिक तेज और ऊर्जावान होता है। गरबा का पारंपरिक रूप डांडिया से पहले किया जाता है।
 
5. पारंपरिक पोशाक और लोकगीत: गरबा नृत्य पारंपरिक और रंगीन पोशाकों के बिना अधूरा है। महिलाएं रंगीन कढ़ाई वाली चनिया चोली और पुरुष केडिया-पायजामा पहनते हैं। नृत्य के दौरान गाए जाने वाले गीत भी भक्तिपूर्ण होते हैं, जिनमें माँ दुर्गा की स्तुति और उनकी महिमा का वर्णन होता है। ये गीत और पोशाक इस लोकनृत्य में चार-चांद लगा देते हैं।
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