Sharad Navratri 2025: हमारे सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। हिन्दू वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन, और माघ, मासों में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसमें दो नवरात्रि को प्रगट एवं शेष दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रि में देवी प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती है वहीं आषाढ़ और माघ मास में की जाने वाली देवीपूजा 'गुप्त नवरात्र' में अन्तर्गत आती है। जिसमें केवल मां दुर्गा के नाम से अखण्ड ज्योति प्रज्वलित कर या जवारे की स्थापना कर देवी की आराधना की जाती है।
ALSO READ: Shardiya navratri 2025: इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से, जानिए किस पर सवार होकर आ रही है मां दुर्गा
आइए जानते हैं कि इस नवरात्रि में किस प्रकार देवी आराधना करना श्रेयस्कर रहेगा।
मुख्य रूप से देवी आराधना को हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं-
1. घट स्थापना, अखंड ज्योति प्रज्वलित करना व जवारे स्थापित करना- श्रद्धालुगण अपने सामर्थ्य के अनुसार उपर्युक्त तीनों ही कार्यों से नवरात्रि का प्रारंभ कर सकते हैं अथवा क्रमश: एक या दो कार्यों से भी प्रारंभ किया जा सकता है। यदि यह भी सम्भव नहीं तो केवल घट-स्थापना से देवीपूजा का प्रारंभ किया जा सकता है।
2. सप्तशती पाठ व जप- देवी पूजन में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत महत्त्व है। यथासम्भव नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक श्रद्धालु को दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए किन्तु किसी कारणवश यह सम्भव नहीं हो तो देवी के नवार्ण मंत्र का जप यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए।
!! नवार्ण मंत्र - 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' !!
नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त-
इस माह की 22 तारीख से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होने जा रही है। नवरात्रि के यह नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना के दिन होते हैं। अनेक श्रद्धालु इन नौ दिनों में अपने घरों में घट-स्थापना कर अखंड ज्योति की स्थापना कर नौ दिनों का उपवास रखते हैं।
आइए जानते हैं कि नवरात्रि में घट-स्थापन एवं अखंड ज्योति प्रज्वलन का शुभ मुहूर्त कब है-
दिवस मुहूर्त-
- प्रात: 09:09 से 10:40 बजे तक,
- दोपहर: 03:13 से 04:45 बजे तक
- सायं 4:45 से 6:16 बजे तक
रात्रिकालीन मुहूर्त-
- रात्रि 10:43 से 12:11 बजे तक
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र