• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. You have no sense of responsibility, NGT tells Sri Sri Ravi Shankar
Written By
Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 20 अप्रैल 2017 (14:33 IST)

यमुना पर यह क्या बोल गए श्रीश्री, नाराज एनजीटी ने लताड़ा...

यमुना पर यह क्या बोल गए श्रीश्री, नाराज एनजीटी ने लताड़ा... - You have no sense of responsibility, NGT tells Sri Sri Ravi Shankar
नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के उस बयान को स्तब्ध करने वाला बताकर एनजीओ को लताड़ लगाई जिसमें उन्होंने यमुना के डूबक्षेत्रों को हुए नुकसान के लिए केंद्र एवं हरित पैनल को दोषी बताया है।
 
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'आपको जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं है। आपको बोलने की आजादी है तो क्या आप कुछ भी बोल देंगे। यह स्तब्ध करने वाला है।'
 
याचिकाकर्ता मनोज मिश्रा की ओर से पेश हुए वकील संजय पारिख ने पीठ को सूचित किया था कि रवि शंकर ने हाल में एक बयान देकर यमुना नदी के डूब क्षेत्रों में विश्व संस्कृति उत्सव आयोजित करने की अनुमति उनके एनजीओ को देने के लिए सरकार और एनजीटी को जिम्मेदार ठहराया है। इसके बाद पीठ ने यह बात कही। पारिख ने हरित पीठ को बताया कि आध्यात्मिक गुरु ने एनजीटी के खिलाफ आरोप लगाए हैं।
 
वकील ने कहा कि श्रीश्री ने आर्ट ऑफ लिविंग की वेबसाइट, अपने फेसबुक पेज पर यह बयान पोस्ट किया है और उन्होंने इस बात पर लिखित बयान देकर मीडिया को संबोधित किया। हालांकि एओएल फाउंडेशन के लिए पेश हुए वकील ने विशेषज्ञ पैनल के निष्कर्ष का विरोध किया और कहा कि उन्हें समिति के निष्कर्ष को लेकर कुछ आपत्तियां हैं और उन्होंने रिपोर्ट को दरकिनार किए जाने की अपील की।
 
इसके बाद पीठ ने फाउंडेशन और अन्य पार्टियों को इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया और आपत्ति दो सप्ताह में दायर कराने को कहा और मामले की आगे की सुनवाई के लिए नौ मई की तारीख तय की।
 
रविशंकर ने यमुना के डूब क्षेत्र पर एओएल की ओर से विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन की अनुमति दिए जाने के लिए 18 अप्रैल को सरकार और एनजीटी पर ठीकरा फोड़ा था और कहा था कि यदि पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचा है तो इसके लिए सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
 
एओएल के प्रमुख ने कहा था कि फाउंडेशन ने एनजीटी सहित सभी संस्थाओं से सभी जरूरी अनुमतियां ले ली थीं और यदि यमुना नदी इतनी ही सुकुमार और पवित्र है तो कार्यक्रम शुरू में ही रोक देना चाहिए था। (भाषा) 
 
ये भी पढ़ें
सांड के पेट से निकला एलईडी बल्ब!