शुक्रवार, 1 नवंबर 2024
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  4. What is Maratha Reservation Movement, know the whole story?

अन्नासाहेब पाटिल से लेकर मनोज जरांगे तक, क्‍या है मराठा आरक्षण आंदोलन, जानिए पूरी कहानी?

Maratha Reservation
  • 13 दिनों में अब तक 25 लोगों ने किया सुसाइड
  • महाराष्‍ट्र के 8 जिलों में पसरी हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़
  • कौन हैं मराठा, आरक्षण में क्‍या चाहते हैं सरकार से?
Maratha Reservation: आगजनी। तोड़फोड़। आत्‍महत्‍याएं और अब तक 2 सांसद और 4 विधायकों के इस्तीफे। करीब 8 जिलों में पसरी हिंसा। हिंसा की आग मुंबई तक पहुंची। यह है महाराष्‍ट्र में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन के अब तक के मोटे-मोटे बिंदू।

दरअसल, महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मंगलवार को एक महिला समेत 9 और लोगों ने आत्महत्या कर ली। 19 से 31 अक्टूबर तक यानी 13 दिनों में अब तक 25 लोग सुसाइड कर चुके हैं। इस साल सितंबर में शुरू हुआ आंदोलन 8 से ज्यादा जिलों में हिंसक हो गया है। यह संख्या 1990 के मंडल आंदोलन के दौरान की गईं आत्महत्याओं के आंकड़े के बाद सबसे ज्यादा बताई जा रही है। स्‍थिति यह है कि आरक्षण आंदोलन की आग अब मुंबई तक पहुंच रही है।

मराठा आरक्षण की मांग पर भूख हड़ताल पर बैठे एक्टिविस्ट मनोज जरांगे ने सोमवार को कहा कि मराठाओं को पूरे महाराष्ट्र में आरक्षण चाहिए, न कि कुछ क्षेत्र में।

जानते हैं आखिर क्‍या है मराठा आरक्षण आंदोलन, कौन हैं इसका नेता और आंदोलन से क्‍या चाहते हैं मराठा।  

13 दिन में 25 लोगों ने जान दी
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग तेज हो गई है। अब इसे लेकर लोग आत्‍महत्‍याएं भी करने लगे हैं। मंगलवार को एक महिला समेत 9 और लोगों ने आत्महत्या कर ली। स्‍थिति यह है कि 19 से 31 अक्टूबर के बीच यानी महज 13 दिनों में अब तक 25 लोग सुसाइड कर चुके हैं। इस साल सितंबर में शुरू हुआ आंदोलन 8 से ज्यादा जिलों में हिंसक हो गया है।

कौन हैं मनोज जारांगे पाटिल?
40 साल के मनोज जारांगे पाटिल मूलरूप से बीड के रहने वाले हैं। रोजी-रोटी के चक्कर में उन्हें जालना के अंबाद आना पड़ा था। यहां उन्होंने एक होटल में काम करके जैसे-तैसे गुजर-बसर किया। हालांकि कुछ समय बाद पाटील ने कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में अपने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत की लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें पार्टी छोड़ दी।
maratha reservation
पाटील ने 'शिवबा संगठन' नाम का एक संगठन बनाया। यह संगठन मराठा समुदाय के सशक्तिकरण के लिए काम करता था। मनोज जरांगे पाटील मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करने वाले विभिन्न राज्य के राजनेताओं से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा रहे हैं। जरांगे 25 अक्टूबर से जालना जिले के अपने पैतृक अंतरवली सराती गांव में अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं।

क्या है जरांगे की मांग?
मनोज जरांगे पाटिल की मांग है कि सरकार सभी मराठों को कुनबी (मराठा की एक उपजाति) माने ताकि उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण का लाभ मिले। कुनबी एक कृषक समुदाय है और यह समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण पाने का पहले से ही हकदार है।

अब तक क्या हुआ?
महाराष्ट्र सरकार ने साल 2018 में 16 फीसदी मराठा आरक्षण पर मुहर लगाई थी। साल 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे घटाकर सरकारी नौकरियों में 13 फीसदी और शैक्षणिक संस्थानों में 12 फीसदी कर दिया। मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान के उल्लंघन के लिए मराठा समुदाय को आरक्षण की मंजूरी देने वाले महाराष्ट्र के सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 को रद्द कर दिया था।

मराठा आरक्षण का इतिहास
1982 : महाराष्ट्र में मराठा लंबे समय से अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। साल 1982 में मराठा आरक्षण को लेकर पहली बार बड़ा आंदोलन किया गया था।
1982 : 1982 में मराठी नेता अन्नासाहेब पाटिल ने आर्थिक स्थिति के आधार पर मराठाओं को आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था। सरकार ने उनकी मांग को अनदेखा किया तो उन्होंने खुदकुशी कर ली थी।
2014 : साल 2014 के चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठाओं को 16% आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लेकर आए थे। लेकिन 2014 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार चुनाव हार गई और बीजेपी-शिवसेना की सरकार में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने। हालांकि, नवंबर 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस अध्यादेश पर रोक लगा दी।

सियासत में मराठों की भूमिका
  • महाराष्ट्र की सियासत में मराठाओं खासी पकड रही है।
  • महाराष्ट्र के 40 फीसदी से ज्यादा विधायक और सांसद मराठा समुदाय से होते हैं
  • 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से अब तक 20 मुख्यमंत्री बने हैं, जिनमें 12 मराठा समुदाय से ही रहे हैं।
  • वर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे भी मराठा ही हैं।
  • 1950 से 1980 के दशक तक मराठा कांग्रेस के पक्ष में हुआ करते थे।
  • बाद में इनका राजनीतिक रुख भाजपा की तरफ हो गया।
  • बीजेपी को मराठा-कुनबी समुदाय से अच्छे-खासे वोट मिलते हैं।
  • महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में लगभग 45 फीसदी सीटें मिलती रहीं हैं।
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