भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार देता है। यदि महामहिम इस तर्क से संतुष्ट हैं कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के मुताबिक काम नहीं कर रही है तो कैबिनेट की सहमति राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।
ऐसी स्थिति में सत्ता की बागडोर राज्यपाल के हाथ में होती है। राज्यपाल सदन को 6 महीने की अवधि के लिए निलंबित भी रख सकते हैं। 6 महीने के बाद भी यदि कोई पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाए तो पुन: चुनाव की सिफारिश की जाती है।
हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि भारत में अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग ज्यादा हुआ है। ज्यादातर मामलों में ऐसी परिस्थिति तब बनती है जब केन्द्र और राज्य में अलग-अलग दलों की सरकारें होती हैं। इस अनुच्छेद का पहली बार 31 जुलाई 1957 में प्रयोग किया गया था, जब लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई केरल की कम्युनिस्ट सरकार बर्खास्त की गई थी।
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या के विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद चार राज्य सरकारों को बर्खास्त किया गया था। इनमें यूपी की कल्याणसिंह सरकार, मध्यप्रदेश की सुंदरलाल पटवा सरकार, राजस्थान की भैरोंसिंह शेखावत सरकार और हिमाचल प्रदेश की शांता कुमार सरकार को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बर्खास्त कर दिया था।
किन परिस्थितियों में लगाया जाता है राष्ट्रपति शासन
जब राज्य का संवैधानिक तंत्र पूरी तरह विफल हो जाए।
राज्य सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह न करे।
विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत न मिले।
विधानसभा मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं कर पाए।
सबसे बड़ी पार्टी सरकार बनाने से इंकार कर दे।
सत्तारूढ़ गठबंधन टूट जाए और सरकार बहुमत खो दे।
सरकार राज्य की शांति व्यवस्था (दंगे आदि) को संभालने में नाकाम रही हो।
अपरिहार्य कारणों से राज्य में समय चुनाव न हो पाएं।
ऐसा माना जाता है कि भारत में अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी राज्यों में सत्तारूढ़ विरोधी दलों की सरकारों को अपना निशाना बनाती है। हालांकि यह भी उम्मीद की जाती है कि राज्यपाल पूर्वाग्रहों और अनुमानों के आधार पर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश नहीं करें, राज्य में सरकार बनाते समय वे सबसे बड़े दल अथवा गठबंधन को सरकार बनाने का पूरा मौका दें।
भारत में अब तक विभिन्न राज्यों में 100 से ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। सबसे ज्यादा मणिपुर में 10 बार और उत्तर प्रदेश में 9 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। बिहार और पंजाब में भी 8-8 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है।