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  4. Violence erupted again in Manipur, firing in Churachandpur, 4 killed including deputy chief of Kuki National Army
Last Updated :चुराचांदपुर , मंगलवार, 1 जुलाई 2025 (12:56 IST)

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, चुराचांदपुर में गोलीबारी, कुकी नेशनल आर्मी के डिप्टी चीफ समेत 4 की मौत, क्या है राज्य में हिंसा का इतिहास

Manipur violence
4 killed including Deputy Chief of Kuki National Army in Manipur: मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। सोमवार दोपहर करीब 2 बजे मोंगजांग गांव के पास अज्ञात बंदूकधारियों ने घात लगाकर हमला किया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, मृतकों को नजदीक से गोली मारी गई और घटनास्थल से दर्जनभर से अधिक खाली कारतूस बरामद हुए हैं। मृतकों की पहचान थेंखोथांग हाओकिप उर्फ थाहपी (48), सेइखोगिन (34), लेंगौहाओ (35) और फालहिंग (72) के रूप में हुई है। केंद्रीय सुरक्षा बलों के सूत्रों के अनुसार, थेंखोथांग हाओकिप कुकी नेशनल आर्मी (केएनए) के डिप्टी चीफ थे। 
 
अभी तक किसी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पुलिस और सुरक्षा बलों को इलाके में तैनात कर दिया गया है, और मामले की जांच शुरू हो गई है। यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब मणिपुर पहले से ही जातीय तनाव और हिंसक घटनाओं की चपेट में है। मई 2023 से राज्य में कई बार मैतेई और कुकी समुदायों के बीच टकराव हो चुका है। फरवरी में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, लेकिन यह ताजा घटना एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।
 
इधर, मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों ने शांति बहाली के लिए गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की और अपनी चिंताएं व मांगें रखीं। वहीं, कुकी पक्ष ने स्पष्ट किया कि शांति की जिम्मेदारी दोनों समुदायों की है, और यदि उनके गांवों या लोगों पर हमला होता है, तो वे आत्मरक्षा में जवाब देंगे।
 
मणिपुर में हिंसा का इतिहास और पहले की घटनाएं : मणिपुर में हिंसा का लंबा इतिहास रहा है, जो मुख्य रूप से मैतेई (जो इम्फाल घाटी में 53% जनसंख्या के साथ बहुसंख्यक हैं) और कुकी-नगा (पहाड़ी क्षेत्रों में 43% जनसंख्या) समुदायों के बीच तनाव से उपजा है। यह तनाव जमीन, संसाधनों, और राजनीतिक प्रभुत्व को लेकर रहा है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार, मई 2023 से शुरू हुई हिंसा में 22 नवंबर 2024 तक 258 लोग मारे गए, 60,000 से अधिक विस्थापित हुए और 4786 घर जलाए गए। इसके अलावा, 386 धार्मिक स्थल, जिनमें मंदिर और चर्च शामिल हैं, नष्ट किए गए।
 
प्रमुख पिछली घटनाएं:
  • 1990 के दशक में  कुकी-नगा और कुकी-मैतेई संघर्ष
  • 1990 के दशक में मणिपुर में जातीय हिंसा की कई घटनाएं हुईं।
  • 1992-1997 के बीच कुकी-नगा संघर्ष सबसे गंभीर था, जो पहाड़ी क्षेत्रों में नियंत्रण और व्यापार मार्गों को लेकर हुआ।
  • 1992 में मोरेह में मैतेई-कुकी हिंसा और 1997 में चुराचांदपुर में जमीन विवादों के कारण कुकी-मैतेई टकराव देखा गया। ये घटनाएं संसाधनों, जमीन, और राजनीतिक प्रभाव को लेकर थीं।
मई 2023 में हिंसा की शुरुआत : 14 अप्रैल 2023 को मणिपुर उच्च न्यायालय ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश की, जिसका कुकी और नगा समुदायों ने विरोध किया। इस दर्जे से मैतेई समुदाय को सरकारी नौकरियों, शिक्षा में आरक्षण, और पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन खरीदने का अधिकार मिल सकता था, जिसे कुकी समुदाय ने अपने अधिकारों पर खतरे के रूप में देखा। 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा आयोजित 'ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च' के दौरान चुराचांदपुर के तोरबुंग में हिंसा भड़की। इस दौरान आगजनी, वाहनों में तोड़फोड़ और गोलीबारी में 11 लोग घायल हुए, जिनमें से दो लोगों की मौत हो गई।
 
जुलाई 2023 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा
मई 2023 में दो कुकी महिलाओं को मैतेई भीड़ द्वारा नग्न परेड कराने और यौन उत्पीड़न का वीडियो सामने आने के बाद देशभर में आक्रोश फैला। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में दावा किया कि मणिपुर पुलिस ने भीड़ को रोकने के बजाय उन्हें प्रोत्साहित किया। इस घटना ने हिंसा की क्रूरता को उजागर किया।
 
सितंबर 2024 : जिरिबाम में हिंसा
7 सितंबर 2024 को जिरिबाम जिले में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसक झड़प में छह लोग मारे गए। इस दौरान ड्रोन से विस्फोटक उपकरण गिराए गए, जिसे अधिकारियों ने हिंसा में महत्वपूर्ण वृद्धि करार दिया।
 
नवंबर 2024 : छह लोगों की हत्या
नवंबर 2024 में छह मैतेई महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद इम्फाल घाटी में हिंसक प्रदर्शन हुए। मैतेई समूहों ने आरोप लगाया कि कुकी सशस्त्र समूहों ने उनकी हत्या की। इसके जवाब में प्रदर्शनकारियों ने कई विधायकों और मंत्रियों के घरों और कार्यालयों में तोड़फोड़ और आगजनी की।
 
हिंसा के कारण और पृष्ठभूमि
जातीय तनाव : मैतेई और कुकी-नगा समुदायों के बीच जमीन, संसाधनों, और राजनीतिक शक्ति को लेकर लंबे समय से तनाव है। मैतेई समुदाय का एसटी दर्जे की मांग और कुकी-नगा समुदायों का इसका विरोध मुख्य ट्रिगर रहा है।  
 
औपनिवेशिक नीतियां : ब्रिटिश शासन ने पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों को अलग-अलग प्रशासित किया, जिसने 'बांटो और राज करो' की नीति को बढ़ावा दिया। 1917-1919 के कुकी विद्रोह के बाद पहाड़ी क्षेत्रों पर ब्रिटिश नियंत्रण और सख्त हुआ, जिसने समुदायों के बीच दूरी को और बढ़ाया।  
 
जमीन और संसाधनों पर विवाद : मणिपुर लैंड रेवेन्यू एंड लैंड रिफॉर्म्स एक्ट, 1960 के तहत पहाड़ी क्षेत्रों में गैर-आदिवासियों को जमीन खरीदने की मनाही है, लेकिन मैतेई समुदाय का कहना है कि यह उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करता है। वहीं, कुकी समुदाय का आरोप है कि मैतेई समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में उनकी जमीन हड़पना चाहता है।  
 
आर्थिक असमानता : इम्फाल घाटी में मैतेई समुदाय को बेहतर आर्थिक अवसर और बुनियादी ढांचा मिला है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में कुकी और नगा समुदायों को स्कूल, अस्पताल, और सड़कों की कमी का सामना करना पड़ता है।  
 
हथियारों की लूट : मई 2023 में शुरू हुई हिंसा के दौरान पुलिस और सरकारी हथियार डिपो से करीब 6000 हथियार और 600000 राउंड गोला-बारूद लूटे गए, जिसने हिंसा को और भड़काया।  
 
फर्जी खबरें और सोशल मीडिया : फर्जी खबरों और भड़काऊ वीडियो ने हिंसा को बढ़ावा दिया। उदाहरण के लिए, मई 2023 में एक मैतेई नर्स की हत्या की झूठी खबर और म्यांमार की एक घटना को कुकी समुदाय के खिलाफ गलत तरीके से पेश किया गया, जिसने बदले की कार्रवाइयों को हवा दी।
 
वर्तमान स्थिति और शांति के प्रयास : मणिपुर में हिंसा ने राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया है- मैतेई-नियंत्रित इम्फाल घाटी और कुकी-नियंत्रित पहाड़ी क्षेत्र। दोनों समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ गया है। केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों की तैनाती, इंटरनेट पर प्रतिबंध, और कर्फ्यू जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन स्थायी शांति अब तक नहीं स्थापित हो सकी।  
 
कुकी समुदाय ने अलग प्रशासन की मांग की है, जबकि मैतेई समुदाय इसका विरोध करता है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जून 2023 में दोनों समुदायों के साथ शांति वार्ता की कोशिश की, लेकिन कुकी और मैतेई समूहों ने शांति समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया। 
 
राज्य में बढ़ती हिंसा को देखते हुए प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। केंद्र और राज्य सरकार पर शांति स्थापना के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है। जांच और सुरक्षा बलों की तैनाती जारी, स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala