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Last Updated : मंगलवार, 28 नवंबर 2023 (11:13 IST)

क्या है रैट होल माइनिंग, एक्सपर्ट कैसे करते हैं टनल खोदने का काम?

क्या है रैट होल माइनिंग, एक्सपर्ट कैसे करते हैं टनल खोदने का काम? - Uttarkashi tunnel rescue : What is rat hole minning, why it is dangerous?
Uttarkashi tunnel rescue : उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट होल माइनिंग एक्सपर्ट्स की एंट्री हो गई। सिलक्यारा सुरंग में बचावकर्मियों ने 50 मीटर की दूरी को पार कर लिया है। पिछले 16 दिन से अंदर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 'रैट होल माइनिंग' तकनीक से की जा रही ड्रिलिंग के जरिए अब मलबे में केवल 10 मीटर का रास्ता साफ करना शेष रह गया है।
 
चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में शेष बचे 10-12 मीटर के मलबे को साफ करने के काम में 'रैट होल माइनिंग' के इन विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
 
बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने बताया कि मलबे के अंदर फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को काटकर निकाल दिया गया। ऑगर मशीन का हेड (सिरा) भी पाइप के अंदर फंसा हुआ था और अब उसे भी हटा दिया गया है। इसके लिए कुल 1.9 मीटर पाइप को भी काटना पड़ा।
 
उन्होंने कहा कि 'रैट माइनिंग' तकनीक से हाथ से मलबा साफ किया जाएगा, लेकिन अगर कहीं सरिया या गर्डर या अन्य प्रकार की मुश्किलें आईं तो मशीन से उसे काटा जाएगा और फिर मशीन से पाइपों को अंदर डाला जाएगा।
 
क्या है रैट होल माइनिंग : रैट होल माइनिंग एक विवादास्पद और खतरनाक प्रक्रिया है जिनमें छोटे-छोटे समूहों में खननकर्मी नीचे तंग गडढों में थोड़ी मात्रा में कोयला खोदने के लिए जाते हैं। इसमें संकरा गड्डा खोदा जाता है और इसमें एक व्यक्ति उतरकर कोयला निकालने का काम करता है। गड्डा खुदने के बाद एक व्यक्ति रस्सी या बांस की सीढ़ीयों की मदद से कोयले की परत तक पहुंचता है। फिर गैती, फावड़े और टोकरियों की मदद से इसे मैनुअली निकाला जाता है।
 
टनल में क्या करेगी रैट होल माइनिंग टीम : इस बीच खैरवाल ने स्पष्ट किया कि मौके पर पहुंचे व्यक्ति 'रैट होल' खननकर्मी नहीं है बल्कि ये लोग इस तकनीक में माहिर हैं। इन लोगों को 2 या तीन लोगों की टीम में विभाजित किया जाएगा। प्रत्येक टीम संक्षिप्त अवधि के लिए एस्केप पैसेज में बिछाए गए स्टील पाइप में जाएगी।
 
'रैट होल' ड्रिलिंग तकनीक के विशेषज्ञ राजपूत राय ने बताया कि इस दौरान एक व्यक्ति ड्रिलिंग करेगा, दूसरा मलबे को इकटठा करेगा और तीसरा मलबे को बाहर निकालने के लिए उसे ट्रॉली पर रखेगा।
 
उल्लेखनीय है कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसके कारण उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। (इनपुट : भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta
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