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Last Modified: सोमवार, 8 फ़रवरी 2021 (00:23 IST)

Glacier burst : न बारिश आई, न ही पिघली बर्फ, फिर कैसे आई विकराल बाढ़, पता लगाने जाएगी ग्लेशियोलॉजिस्ट की टीम

Glacier burst : न बारिश आई, न ही पिघली बर्फ, फिर कैसे आई विकराल बाढ़, पता लगाने जाएगी ग्लेशियोलॉजिस्ट की टीम - two teams of glaciologists will go to joshimathatpovan to study the causes of floods in chamoli
नई दिल्ली। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सैन ने कहा है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के बाद आई व्यापक बाढ़ के कारणों का अध्ययन करने के लिए ग्लेशियर के बारे में जानकारी रखने वाले वैज्ञानिकों(ग्लेशियोलॉजिस्ट) की 2 टीम जोशीमठ-तपोवन जाएगी। सैन ने कहा कि रविवार की घटना काफी 'अजीब' थी क्योंकि बारिश नहीं हुई थी और न ही बर्फ पिघली थी।
 
सैन ने कहा कि ग्लेशियोलॉजिस्ट की दो टीम हैं - एक में दो सदस्य हैं और एक अन्य में तीन सदस्य हैं। ये टीम आज सुबह देहरादून रवाना होंगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तत्वावधान में देहरादून का वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, क्षेत्र में हिमनदों और भूकंपीय गतिविधियों सहित हिमालय के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है। इसने उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ पर भी अध्ययन किया था जिसमें लगभग 5,000 लोग मारे गए थे।
सैन ने कहा कि टीम त्रासदी के कारणों का अध्ययन करेगी। हमारी टीम ग्लेशियोलॉजी के विभिन्न पहलुओं को देख रही होगी। उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई। इससे वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और 170 से ज्यादा लापता हैं। 
 
करीब 200 मेगावाट बिजली आपूर्ति प्रभावित : हिमस्खलन के कारण सावधानी के तौर पर स्थानीय प्रशासन ने दो बिजली संयंत्र को बंद कर दिया, जिसके चलते नेशनल ग्रिड को की जानी वाली करीब 200 मेगावाट विद्युत आपूर्ति प्रभावित हुई। टिहरी और कोटेश्वर के बिजली संयंत्रों को बंद किया गया है। प्रभावित क्षेत्र के ज्यादातर जल विद्युत संयंत्र निर्माणाधीन हैं या छोटी इकाइयों के तहत आते हैं जोकि 25 मेगावाट तक की क्षमता के होते हैं। यह छोटे संयंत्र अधिकतर राज्य सरकार के अधीन हैं।
एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि स्थानीय प्रशासन ने आपदा के मद्देनजर टिहरी और कोटेश्वर के संयंत्रों को बंद कर दिया है। इसके चलते नेशनल ग्रिड को होने वाली करीब 200 मेगावाट विद्युत आपूर्ति प्रभावित हुई है। (इनपुट भाषा)
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