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Last Modified: सोमवार, 7 नवंबर 2022 (15:43 IST)

GST में हो सिर्फ एक दर, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन का सुझाव

GST में हो सिर्फ एक दर, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन का सुझाव - The suggestion of the chairman of the Prime Minister's Economic Advisory Council regarding GST
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के चेयरमैन विवेक देबरॉय ने माल एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में सिर्फ एक दर का सुझाव दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि कराधान प्रणाली मुक्तता या छूट रहित होनी चाहिए। हालांकि देबरॉय ने स्पष्ट किया है कि उनकी इस राय को ईएसी-पीएम का सुझाव नहीं माना जाए।

देबरॉय ने सोमवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्र और राज्यों का कर संग्रह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का मात्र 15 प्रतिशत है, जबकि सार्वजनिक ढांचे पर सरकार के खर्च की मांग कहीं ऊंची है। उन्होंने कहा, जीएसटी पर यह मेरी राय है। कर की सिर्फ एक दर होनी चाहिए। हालांकि मुझे नहीं लगता कि हमें ऐसा कभी मिलेगा।

उन्होंने कहा कि यदि ‘अभिजात्य प्रकृति’ और अधिक उपभोग वाले उत्पादों पर अलग-अलग कर दरें हटा दी जाएं, तो इससे मुकदमेबाजी कम होगी। देबरॉय ने कहा, हमें यह समझने की जरूरत है कि उत्पाद कोई भी हो, जीएसटी दर एक होनी चाहिए। यदि हम प्रगतिशीलता दिखाना चाहते हैं तो यह प्रत्यक्ष करों के जरिए होनी चाहिए, जीएसटी या अप्रत्यक्ष करों के जरिए नहीं।

उन्होंने कहा कि उनके इस विचार को ईएसी-पीएम का सुझाव नहीं समझा जाए। देबरॉय ने कहा कि जीएसटी को लागू करने से पहले आर्थिक मामलों के विभाग ने 17 प्रतिशत के जीएसटी राजस्व निरपेक्ष दर (आरएनआर) का अनुमान दिया था, लेकिन आज औसत जीएसटी 11.5 प्रतिशत है।

ईएसी-पीएम के चेयरमैन ने कहा, या तो हम कर देने के लिए तैयार रहें या सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की कम आपूर्ति के लिए। सरकार द्वारा जो कर मुक्तता या रियायत दी जाती है वह जीडीपी के 5-5.5 प्रतिशत के बराबर है।

उन्होंने कहा कि कर चोरी गैरकानूनी है, लेकिन मुक्तता या छूट के प्रावधान के जरिए कर से बचाव कानूनी रूप से सही है। देबरॉय ने सवाल किया कि क्या हमें इस तरह छूट की जरूरत है। जितना हम कर-मुक्तता देंगे यह उतना जटिल बनेगा।

उन्होंने कहा कि हमारा ऐसा सुगम कर ढांचा क्यों नहीं हो सकता, जिसमें किसी तरह का ऐसा प्रावधान नहीं हो।
देबरॉय ने सुझाव दिया कि कॉर्पोरेट कर और व्यक्तिगत आयकर के बीच ‘कृत्रिम अंतर’ को समाप्त किया जाना चाहिए। इससे प्रशासनिक अनुपालन का बोझ कम होगा।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour
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