नई दिल्ली। कांग्रेस ने दही और आटा जैसे दैनिक इस्तेमाल के उत्पादों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के संदर्भ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान को लेकर उन पर पलटवार किया। पार्टी ने आरोप लगाया कि इस विषय पर सरकार ने अपना रुख बदल लिया है और अब वह सर्वसम्मति की बजाय राज्यों के साथ सहमति की बात कर रही है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि जब जनता महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है तो ऐसे समय जरूरी खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाकर सरकार ने क्रूर मजाक किया है और उसके इस कदम से महंगाई और बढ़ेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि गैर-भाजपा शासित राज्यों समेत सभी राज्यों से मंजूरी मिलने के बाद आटा समेत अन्य वस्तुओं पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि गैर-भाजपा शासित राज्य पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल ने पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने पर सहमति जताई थी।
कांग्रेस नेता रमेश ने ट्वीट किया, 'ब्रांड और लेबल वाली वस्तुएं पहले से पैकेटबंद और लेबल वाली वस्तुओं से अलग होती हैं। पहले वाली वस्तुएं मध्य वर्ग और उच्च मध्य वर्ग द्वारा खरीदी जाती हैं। दूसरी वाली वस्तुएं छोटे कारोबार से जुड़ी होती हैं जिन्हें निम्न मध्य वर्ग और गरीबों द्वारा खरीदा जाता है।'
उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल पश्चिम बंगाल की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने खुलासा किया कि ऑनलाइन बैठक हुई थी। वित्त मंत्री ने आमने-सामने बैठकर मुलाकात नहीं की और एक दूसरे के साथ विचार-विमर्श नहीं किया।
रमेश के अनुसार, 'पश्चिम बंगाल की मंत्री ने वित्त मंत्री की बात खंडन किया है और कहा कि उन्होंने (और कुछ अन्य लोगों ने) फिटमेंट कमेटी की उस रिपोर्ट का विरोध किया जिसमें बढ़ोतरी की अनुशंसा की गई थी।'
उन्होंने आरोप लगाया कि अपना रुख बदलते हुए सरकार और वित्त मंत्री सहमति ने शब्द का उपयोग किया, सर्वसम्मति शब्द का उपयोग नहीं किया।
रमेश ने सवाल किया कि गरीबों को पहले से पैकेटबंद और लेबल वाली वस्तुएं खरीदने की अकांक्षा क्यों नहीं रखनी चाहिए?
उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार साफ-सुथरी पैक की हुई वस्तुएं खरीदने की आकांक्षा रखने के लिए दंडित कर रही है। जीएसटी सूची को देखिए। श्मशान घाटों पर भी जीएसटी को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है।
रमेश ने आरोप लगाया कि जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 7 प्रतिशत से अधिक है, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 15 प्रतिशत से अधिक है, बेरोजगारी बहुत अधिक है, रुपया लगातार गिर रहा है, चालू खाता घाटा बढ़ रहा है, दुनिया भर में महंगाई बढ़ने का अंदेशा है, तब इस सरकार ने यह क्रूर मजाक किया है।