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Last Modified: बुधवार, 20 जुलाई 2022 (12:35 IST)

मी लॉर्ड! जनादेश का क्या हुआ? शिंदे-उद्धव गुट के घमासान पर सुनवाई टली

मी लॉर्ड! जनादेश का क्या हुआ? शिंदे-उद्धव गुट के घमासान पर सुनवाई टली - Hearing on Shinde-Uddhav faction tussle postponed in Supreme Court
नई दिल्ली। शिवसेना मामले में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच जारी घमासान पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई। अब इस मामले में 1 अगस्त को सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने दोनों ही पक्षों से मंगलवार तक लिखित जवाब मांगा है। 
 
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में बेंच का गठन करेगा। हो सकता है यह मामला संविधान पीठ के सुपुर्द करना पड़े। हालांकि शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों से मंगलवार तक लिखित में जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अलग बेंच गठन करने में समय भी लग सकता है। 
 
जनादेश का क्या हुआ? : वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शिवसेना की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि जनादेश का क्या हुआ? 10वीं अनुसूची से उलट काम किया गया और इसका दलबदल के लिए उकसाने में इस्तेमाल किया गया। पार्टी द्वारा नामित आधिकारिक सचेतक से इतर किसी अन्य सचेतक को अध्यक्ष की ओर से मान्यता मिलना दुर्भावनापूर्ण है। सिब्बल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय जब मामलों की सुनवाई कर रहा था तब महाराष्ट्र के राज्यपाल को नई सरकार को शपथ नहीं दिलानी चाहिए थी। 
 
लोकतंत्र के लिए खतरा : इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट ने कोर्ट से मांग की थी कि शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित ‍किया जाए। सिब्बल ने कहा कि जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार को गिराया गया था, वह लोकतंत्र का मजाक था। उन्होंने कहा कि यह सरकार गैरकानूनी है और इसे बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। सिब्बल ने कहा कि इस तरह राज्य सरकारों को गिराया जाता है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। वहीं शिंदे गुट का मानना था कि यह मामला दलबदल जैसा नहीं है। यह तो पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का मसला है। 
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