सालभर बाद मिला TA जवान का शव, जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने कर लिया था अपहरण
जम्मू। सालभर पहले आतंकियों ने अपहरण कर जिस प्रादेशिक सेना के जवान की कश्मीर में हत्या कर दी थी उसका शव बुधवार को मिल गया है। इस बीच एक मंदिर में सुरक्षा में तैनात एक पुलिसकर्मी ने अपने ही साथी को आतंकी समझ कर गोली मार कर मार डाला है।
कुलगाम जिले के मोहम्मद पोरा गांव में बुधवार सुबह एक साल पुराना शव मिला। यह शव पिछले एक साल से लापता सेना की 162 बटालियन के राइफलमैन शाकिर मंजूर वागे का है। लापता सिपाही के पिता मंजूर अहमद वागे ने कहा कि उन्होंने शव की पहचान कर ली है और यह उनका बेटा शाकिर मंजूर ही है, जो पिछले साल लापता हो गया था।
गौरतलब है कि बकरीद पर घर आए सेना के जवान का आतंकियों ने 2 अगस्त 2020 को देर शाम अपहरण कर लिया था। टेरिटोरियल आर्मी (टीए) में तैनात जवान की गाड़ी को भी दहशतगर्दों ने फूंक दिया था। वहीं घटना के बाद से पूरे इलाके में सर्च आप्रेशन चलाया गया था। जवान 162 टीए में दक्षिणी कश्मीर के बालापुर में 12 सेक्टर हेडक्वार्टर में तैनात था।
जानकारी के लिए 2 अगस्त को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले से आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के जवान शाकिर मंज़ूर का उस समय अपहरण कर लिया था, जब वह ईद की छुट्टियां घर में काटने के बाद वापस ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए जा रहा था। आतंकवादियों ने उसका अपहरण करने के बाद उसकी कार को भी आग लगा दी थी।
इस घटना के तुरंत बाद सेना, पुलिस व सीआरपीएफ के जवानों ने कई तलाशी अभियान चलाए परंतु जवान का कोई अता-पता नहीं चल पाया। अपहृत जवान के परिजनों ने आतंकी संगठनों से यह गुहार भी लगाई कि वह उसे जिंदा छोड़ दें। उसके सही-सलामत वापस आते ही वह उसकी सेना की नौकरी छुड़वा देंगे परंतु इसके बावजूद जवान की कोई जानकारी नहीं मिली।
आतंकी समझ पुलिसकर्मी पर साथी ने गोली चलाई, मौत : इस बीच, उत्तरी कश्मीर के हंदवाडा़ में एक मंदिर की सुरक्षा में तैनात एक पुलिसकर्मी पर उसके ही साथी ने आतंकी समझ उस पर गोली चला दी। गोली लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। फिलहाल, पुलिस प्रशासन ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। गोली चलाने वाले पुलिसकर्मी से पूछताछ जारी है। उसकी राइफल भी जांच के लिए जब्त कर ली गई है।
संबधित पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि यह घटना मंगलवार देर रात गए लंगेट, हंदवाड़ा में हुई है। वहां एक मंदिर की सुरक्षा के लिए पुलिस का एक दस्ता तैनात है। इसी दस्ते में फॉलोअर के तौर पर अजय धर भी तैनात था। शाम होते ही मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, क्योंकि यह इलाका आतंकियों के प्रभाव वाला है। मंगलवार की रात को अजय धर ने मंदिर में जबरन दाखिल होने का प्रयास किया था। संतरी ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी ने उसे बार-बार चेतावनी देते हुए अपनी पहचान बताने के लिए कहा था।