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Last Updated : मंगलवार, 20 अगस्त 2024 (17:20 IST)

इंदौर में Chandipura virus के संदिग्‍ध मरीज की मौत, जानिए क्‍या हैं लक्षण और कैसे बचें?

जानिए, चांदीपुरा संक्रमण के बारे में क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स?

Chandipura Virus
मध्य प्रदेश के इंदौर में शनिवार को चांदीपुरा वायरस संक्रमण (Chandipura Virus) जैसे लक्षणों से पीड़ित एक 21 साल के युवक की मौत हो गई। युवक का अस्पताल में इलाज चल रहा था। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से युवक की जांच रिपोर्ट में संक्रमित वायरस की पुष्टि नहीं हुई है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बीएस सैत्या ने बताया कि युवक को इंदौर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। डॉक्टर बीएस सैत्या ने बताया कि मृतक युवक खरगोन जिले का रहने वाला था। उसे बेहतर इलाज के लिए 6 अगस्त को इंदौर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अधिकारी ने बताया कि इंदौर में अब तक चांदीपुरा वायरस का एक भी पुष्ट मामला सामने नहीं आया है। जानते हैं क्‍या है चांदीपुरा वायरस, क्‍या हैं लक्षण और कैसे बचें।
लक्षण दिखने के 48 घंटों में मौत : गुजरात के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मुताबिक कुछ ही दिनों में इसके 12 मामले सामने आ गए थे। ऐसे में इस वायरस को हल्‍के में नहीं लिया जा सकता है। ये वायरस इतना खतरनाक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संक्रमित बच्चों की लक्षण दिखने के 48-72 घंटों के भीतर ही मौत हो सकती है।

इस मौसम में ऐसे फैलता है : चांदीपुरा संक्रमण आमतौर पर बरसात के मौसम में देखने को मिलता है। यह संक्रमित रोग मक्खी, मच्छर के काटने से होता है। 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों में यह संक्रमण पाया जाता है। खास तौर पर यह ग्रामीण क्षेत्रों में इस वायरस का संक्रमण ज्यादा देखने को मिलता है।

क्‍या हैं चांदीपुर वायरस के लक्षण : चांदीपुरा वायरस से बुखार आता है। इसके साथ फ्लू और तीव्र एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) जैसे लक्षण होते हैं। चांदीपुरा वायरस में अक्सर अचानक तेज बुखार आना, उसके बाद दौरे पड़ना, दस्त, मस्तिष्क में सूजन, उल्टी का होना शामिल है। यदि बच्‍चों में बुखार, उल्टी, दस्त, सिर दर्द और ऐंठन जैसे प्राथमिक लक्षण दिखाई देते हैं, तो तत्काल एक चिकित्सक को रेफर करें।
क्‍या हैं लक्षण?
  • तेज बुखार के साथ उल्टी।
  • मानसिक स्थिति या चेतना में परिवर्तन।
  • रोशनी के प्रति संवदेनशीलता या रोशनी से समस्या।
  • डायरिया।
  • तेज सिर दर्द।
  • गर्दन में अकड़न।
  • दौरे पड़ना।
वायरस से बचाव के उपाय
  • साबुन से नियमित हाथ धोते रहें।
  • जंगली जानवरों से दूरी बनाएं।
  • कीड़े भगाने वाली दवा का उपयोग करें।
  • मच्छरदानी लगाकर सोएं।
  • पूरी बांह के कपड़े पहनें।
  • इम्यूनिटी मजबूत बनाए रखें।
कैसे बचे चांदीपुर वायरस से : जनरल फिजिशियन डॉ प्रवीण दाणी ने बताया कि यदि किसी बच्चे में तेज बुखार, उल्टी, दस्त, सिर दर्द और ऐंठन जैसे प्राथमिक लक्षण दिखाई देते हैं, तो तत्काल डॉक्टर से मिलें। इसे बिल्‍कुल भी हल्‍के में न लें। डॉ जेपी पाल ने बताया कि बारिश के मौसम में बच्‍चों को मच्‍छर और मक्‍खी काटने से बचाए। घर में सफाई रखे जिससे मच्‍छर और मक्‍खी न हो। लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्‍टर को दिखाए।
कैसे पड़ा ये नाम : चांदीपुरा वायरस का नाम चांदीपुरा इसलिए पड़ा क्‍योंकि इसका सबसे पहली बार आउटब्रेक साल 1964-65 में महाराष्‍ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में हुआ था। यह उस एक ही जगह में आइसोलेट वायरस था। फ्लू और जापानीज इंसेफेलाइटिस के संयुक्‍त लक्षणों वाला यह वायरस बच्‍चों को संक्रमित करता है। खास बात है कि तब से लेकर अभी तक इस वायरस का कोई भी केस विश्‍व के किसी भी देश में नहीं मिला है। लेकिन, महाराष्‍ट्र से निकलकर यह आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में भी फैला।
Edited By: Navin Rangiyal
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