अधिवक्ता ड्रेस कोड मामला, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें अधिवक्ताओं को गर्मी के दौरान शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय में काला कोट और गाउन पहनने की अनिवार्यता से छूट देने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि वह अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका पर विचार नहीं कर सकती और याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी शिकायत लेकर भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) के पास जाएं।
शीर्ष अदालत ने वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी को यह भी छूट दी कि अगर बीसीआई उनकी याचिका पर कार्रवाई नहीं करता है, तो वह फिर से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली और इसी के साथ मामला खारिज कर दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह पेश हुए।
याचिका में नियमों में संशोधन करने और वकीलों को काला कोट और गाउन पहनने से छूट देने की समय अवधि तय करने का निर्देश राज्य विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल) को देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि भीषण गर्मी के दौरान कोट पहनने से अधिवक्ताओं के लिए एक अदालत से दूसरी अदालत में जाना मुश्किल हो जाता है।
वकीलों का ड्रेस कोड अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों द्वारा शासित होता है। इसके तहत एक वकील के लिए सफेद शर्ट और सफेद नेकबैंड के साथ एक काला कोट पहनना अनिवार्य है।
नियमों के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में पेश होने के अलावा अधिवक्ता के लिए गाउन पहनना वैकल्पिक है।(भाषा)