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Last Updated : बुधवार, 10 जुलाई 2024 (12:31 IST)

मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पति से मांग सकेंगी गुजारा भत्ता

hijab
File Photo
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्‍लिम महिलाओं के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक मुस्लिम महिला पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है।

बता दें कि एक मुस्लिम शख्स ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुजारा भत्ता को लेकर अहम फैसला दिया है। मोहम्मद अब्दुल समद नाम के शख्स ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका : सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश के खिलाफ मोहम्मद अब्दुल समद की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986' धर्मनिरपेश कानून पर हावी नहीं हो सकता है। जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस मसीह ने अलग-अलग, लेकिन सहमति वाले फैसले दिए। हाईकोर्ट ने मोहम्मद समद को 10 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने फैसले में क्या कहा : कोर्ट ने अपने फैसले में कहा— एक भारतीय विवाहित महिला को इस तथ्य के प्रति सचेत होना चाहिए, जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं है। इस तरह के आदेश से सशक्तिकरण का अर्थ है कि उसकी संसाधनों तक पहुंच बनती है। हमने अपने फैसले में 2019 अधिनियम के तहत ‘अवैध तलाक’ के पहलू को भी जोड़ा है। हम इस प्रमुख निष्कर्ष पर हैं कि सीआरपीसी की धारा-125 सभी महिलाओं (लिव इन समेत अन्य) पर भी लागू होगी, ना कि केवल विवाहित महिला पर।

किस महिला ने लगाई थी याचिका : बता दें कि एक मुस्लिम महिला आगा ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दाखिल कर अपने पति से गुजारा भत्ते की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में गुहार लगाई गई थी कि वो उसके पति को 20 हजार रुपए हर महीने अंतरिम गुजारा भत्ता देने का निर्देश दे।

क्‍या है शाहबानो कनेक्‍शन : गौरतलब है कि 1985 के शाहबानो मामले के बाद से लगातार सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों में यह कहता आ रहा है कि तलाक लेने वाली मुस्लिम महिलाएं भरण पोषण की हकदार हैं। शाहबानो फैसले को सरकार ने पलट दिया था, इसके बाद ट्रिपल तलाक के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला के भरण पोषण के पहलू को स्पष्ट किया। साथ ही कई अन्य मुद्दों पर सहूलियत को लेकर आदेश दिया और तब से लेकर अब तक सर्वोच्च अदालत तक मामले पहुंचते रहे हैं।
Edited By: Navin Rangiyal
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