NEET-UG सुनवाई, क्या रद्द होगी परीक्षा, सुप्रीम कोर्ट ने की तीखी टिप्पणियां
Hearing in Supreme Court on NEET UG Exam: उच्चतम न्यायालय ने विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई शुरू की। इनमें पांच मई को हुई परीक्षा में अनियमितताओं और कदाचार का आरोप लगाने वाली और परीक्षा नये सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिकाएं भी शामिल हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि परीक्षा रद्द करना अंतिम विकल्प होना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ गुजरात के 50 से अधिक सफल राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (NEET-UG) अभ्यर्थियों की एक अलग याचिका पर भी सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) को विवादित परीक्षा रद्द करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
क्या कहा कोर्ट ने :
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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट मांगी। बुधवार तक जांच रिपोर्ट देने को कहा। नीट पर अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
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1563 छात्रों की परीक्षा हुई थी, क्या अब भी प्रक्रिया चल रही है।
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क्या छात्रों का पता लगा रहे हैं?
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इंकार की मुद्रा में नहीं रहना चाहिए।
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इस परीक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए?
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पेपर लीक रोकने के लिए क्या करेंगे?
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जिनका नतीजा रोका गया वे कहां है?
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क्या अब भी गलत प्रक्रिया चल रही है?
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क्या हम काउंसलिंग होने दे सकते हैं?
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परीक्षा रद्द करना अंतिम विकल्प होना चाहिए
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यदि परीक्षा की शुचिता नष्ट हो जाए तो पुनः परीक्षा का आदेश देना पड़ता है।
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अगर हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।
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यदि प्रश्न पत्र लीक सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया गया है तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा।
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कुछ ध्यान देने वाली बातें हैं, 67 उम्मीदवार 720 में से 720 अंक प्राप्त कर रहे हैं जबकि पिछले वर्षों में यह अनुपात बहुत कम था।
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यदि प्रश्नपत्र टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लीक होता है, तो यह जंगल की आग की तरह फैलता है।
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यह साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है।
याचिकाकर्ता की दलील : याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने दलीलें शुरू करते हुए कहा कि वे पेपर लीक, ओएमआर शीट में हेरफेर, अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने और धोखाधड़ी जैसे आधारों पर परीक्षा रद्द करने का अनुरोध कर रहे हैं। केंद्र और एनटीए ने हाल में न्यायालय में कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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देशभर में हुए विरोध प्रदर्शन : एनटीए और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय 5 मई को आयोजित परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक से लेकर अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने तक बड़े पैमाने पर कथित अनियमितताओं को लेकर मीडिया में बहस और छात्रों और राजनीतिक दलों के विरोध के केंद्र में रहे हैं। देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीट-यूजी आयोजित की जाती है। पेपर लीक सहित अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच तकरार हुई।
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केन्द्र ने अदालत में कहा था : केंद्र और एनटीए ने 13 जून को अदालत को बताया था कि उन्होंने 1,563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक रद्द कर दिए हैं। उन्हें या तो दोबारा परीक्षा देने या समय की हानि के लिए दिए गए प्रतिपूरक अंकों को छोड़ने का विकल्प दिया गया था। एनटीए ने 23 जून को आयोजित पुन: परीक्षा के परिणाम जारी करने के बाद एक जुलाई को संशोधित रैंक सूची घोषित की।
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कुल 67 छात्रों ने 720 अंक प्राप्त किए, जो एनटीए के इतिहास में अभूतपूर्व है, जिसमें सूची में हरियाणा केंद्र के 6 छात्र शामिल हैं, जिससे परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ। यह आरोप लगाया गया है कि कृपांक के चलते 67 छात्रों को शीर्ष रैंक प्राप्त करने में मदद मिली। एनटीए द्वारा एक जुलाई को संशोधित परिणाम घोषित किए जाने के बाद, नीट-यूजी में शीर्ष रैंक वाले अभ्यर्थियों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala